बड़कागांव में हो रहे जबरन भू-अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए : जाँच दल की रिपोर्ट
7 से 9 नवम्बर 2016 तक झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव में हुए गोलीकांड की घटना की जांच के लिए एक स्वतंत्र जाँच दल ने दौरा किया । दल में श्री जवाहरलाल कौल (पूर्व जिला एवं सत्र न्यायधीश, उत्तर प्रदेश), प्रोफेसर चौथीराम यादव (बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय), प्रोफेसर विनोद कुमार (राष्ट्रिय विधि विश्व विद्यालय, दिल्ली), प्रिया पिल्लई (पर्यावरण एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ता), मधुरेश कुमार (कन्वीनर, जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय), हिमशी सिंह (जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय) तथा उमेश बाबू (दिल्ली समर्थक समूह) शामिल थे। जाँच दल ने पूरे मामले को संदेहास्पद मानते हुए प्रशासन को सुझाव दिया है कि पूरे मामले की सी.बी.आई द्वारा निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए। जांच दल ने जबरन भुमि अधिग्रहण विशेषतः उपजाऊ भूमि पर रोक लगाने की सिफारिश भी की है। पेश है जाँच दल की संक्षिप्त रिपोर्ट;
गाँव वालों का दृष्टिकोण
हजारीबाग के 28 गावों से हजारों की संख्या में लोग जबरदस्ती भूमिअधिग्रहण के खिलाफ चिरु बरवाडीह पर शांतिपूर्ण धरना 15 सितम्बर 2016 से कर रहे थे | यह धरना स्थानीय विधायक श्रीमती निर्मला देवी के सहयोग से किया जा रहा था |
1 अक्टूबर 2016 सुबह 3 बजे पुलिस ने धरना स्थल पर श्रीमती निर्मला देवी को गिरफ्तार करने के लिए रेड डाली | धरनास्थल पर मौजूद महिलाओं ने इसका विरोध किया तो उनपर लाठी चार्ज की गयी और श्रीमती निर्मलादेवी के बाल पकड़कर पुलिस ने दूर तक घसीटते हुए अपने गाडी में बैठाया और उनको लेकर जाने लगे | बीच में दांडी कला गाँव में लोगों ने निर्मला देवी को छुड़ाने के लिए पुलिस की गाड़ी को रोका | पुलिस ने समाधान का रास्ता निकालने की बजाय विरोध को कुचलने का रास्ता अख्तियार किया जो अन्तत: अंधाधुंध गोलीबारी में घटनास्थल पर ही चार लोगों की मृत्य के रूप में सामने आया |
अंधाधुंध पुलिस फायरिंग का पहला शिकार श्री महताब अंसारी हुए जो तड़के सुबह अपने दैनिक मजदूरी के कार्य पर जा रहे थे | महताब अंसारी चेपा खुर्द ग्राम के रहने वाले थे जिनकी उम्र 30 वर्ष थी |
दूसरा शिकार अभिषेक राय जिसकी उम्र 19 वर्ष थी और वह सोनबरसा गाँव का निवासी था | अभिषेक को पता चला कि कोई उपद्रव हो रहा है और उसका भाई अभिजित उसमें फंस न जाये, इसलिए वह उसको ट्यूशन से वापस लाने गया था | आते वक्त अभिजित बच गया लेकिन उसका बड़ा भाई पुलिस की अंधाधुंध गोली का शिकार हो गया और उसकी तत्काल मौत हो गयी |
तीसरा शिकार रंजन कुमार दास है जिसकी उम्र 17 वर्ष थी, सोनबरसा गाँव का निवासी था और वह ट्यूशन सेंटर बंद होने की वजह से वापस आ रहा था |
चौथा शिकार है पवन कुमार साव, उम्र 17 वर्ष जो ट्यूशन पढ़ने गया था और यह भी सोनबरसा गाँव का निवासी था |
इसके आलावा फैक्ट फाइंडिंग टीम उन 6 लोगों से मिली जिनको गोली लगी है और अपना इलाज निजी अस्पतालों से करा रहे हैं | गाँव वालों ने बताया कि करीब 30 से भी ज्यादा लोग हैं जिनको गोली लगी लेकिन दहशत के कारण वे दूसरी जगह चले गए हैं |
फैक्ट फाइंडिंग टीम को ग्रामीणों ने बताया कि 3 अक्तूबर को पुलिस ने धरा 144 लागू करके घरों में घुस कर महिलाओं, बुजुर्गों, और बच्चों को लाठी से मारना शुरू कर दिया |
घायलों ने यह बयान दिया कि गोली चलाने से पहले पुलिस ने कोई भी चेतावनी नहीं दी बल्कि जब लोगों को मार दिया गया उसके बाद औपचारिकता पूरी करने के लिए पुलिस ने लाउडस्पीकर के माध्यम से चेतावनी दिया जिसका विडियो फुटेज पुलिस के पास है और वह इसे अपने पक्ष में पेश कर रही है |
सभी लोगों (मृतकों और घायलों) को गोली कमर से ऊपर लगी है | इन प्रमाणों से ऐसा प्रतीत होता है कि अंधाधुंध गोलियां लोगों को जान से मारने के इरादे से चलायी गयी थी | यदि भीड़ को तितर-वितर करने का इरादा होता तो गोलियां लोगों के कमर से निचे ही लगती |
अधिकारीयों का दृष्टिकोण
जिला अपायुक्त ने पुलिस की गोली-बारी को ग्रामीणों के उपद्रव का परिणाम बताया जिसमें उन्होंने सर्किल ऑफिसर के पिटाई का विडियो साक्ष्य के रूप में पेश करने का दावा किया | उन्होंने यहाँ तक कहा कि लोगों को सरकारी कार्यों में बाधा नहीं डालनी चाहिए, क़ानूनी तौर पर यह जमीन भूमि अधिग्रहण के आधीन है और ग्रामीणों को यह जमीन देनी ही पड़ेगी |
3 अक्टूबर की घटना के सन्दर्भ में जिला उपायुक्त ने बताया कि उनके संज्ञान में इस तरह की घटना नहीं घटी है | परन्तु पुलिस अधीक्षक ने इस तरह की घटना की सम्भावना से इनकार नहीं किया |
चार मौंतों के बाद FIR अभी तक दर्ज नहीं हुई है | इस बिंदु पर पुलिस अधीक्षक एवं जिला उपायुक्त दोनों ने एक बात रखी कि अभी तक कोई FIR दर्ज कराने के लिए नहीं आया | उन्होंने यह भी बताया कि इस मसले पर एक जाँच कमिटी का घठन किया गए है जिसके सदस्य गृह सचिव, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (CID) और कैबिनेट हैं
जमीन सम्बंधित मसलों पर ग्रामीणों की राय
- जो जमीन, लोग सरकार या किसी कंपनी को नहीं देना चाहते हैं वह काफी उपजाऊ और तीन फसलीय कृषि योग्य भूमि है |
- जिन ग्रामीणों से फैक्ट फाइंडिंग टीम मिली इनमें से किसी को भी अभी तक कोल बियरिंग अधिनियम के तहत कोई भी नोटिस या पत्र सरकार की तरफ से नहीं मिला है |
- भूमि अधिग्रहण से जुडी औपचारिकता पूरी करने के लिए National Thermal Power Plant Corporation (NTPC) ने फर्जी हस्ताक्षर वाले दस्तावेज तैयार किये हैं | ग्रामीणों ने सपष्ट किया कि उन्होंने कभी भी भूमि अधिग्रहण को मंजूरी नहीं दी है |
- Forest Right Act 2006 को अभी तक लागु नहीं किया गया है जिसकी वजह से सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकार नहीं मिल पाया है |
- NTPC के दस्तावेज के अनुसार जंगलों में गिलहरी, सियार, सांप और चिड़ियाँ रहती हैं | लेकिन वन विभाग के अनुसार इसमें दुर्लभ जानवर जैसे हाथी, बाघ, भालू, चिता, आदि भी रहते हैं | यह दोनों दस्तावेज मेल नहीं खा रहे हैं और इनमें से कोई एक गलत है | NTPC के दस्तवेज गलत हैं, ऐसा ग्रामीणों ने बताया किया |
सुझाव:
- तुरंत FIR दर्ज करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए
- पूरे घटनाक्रम की CBI द्वारा निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए
- जबरन भूमी अधिग्रहण तत्काल प्रभाव से बंद होना चाहिए ‘
- कोयला खनन का कार्य तत्काल प्रभाव से बंद हो
- घायलों के इलाज का पूरा खर्च सरकार बहन करे
- मृतकों के परिवार को स्थानीय संगठनों से वार्ता के पश्चात उचित मुआवजा और अन्य सहायता जल्द से जल्द दी जाय |