नर्मदा बचाओ आंदोलन : पुनर्वास में भ्रष्टाचार, अधिकारियों ने किया स्वीकार !
1.5 हज़ार विस्थापितों ने दिन भर घेरा इंदौर के पुनर्वास कार्यालय
9 अक्टूबर 2015; मध्य प्रदेश के बड़वानी,ठिकरी,खुखशी,धरमपुरी, मनावर, अलीराजपुर, महेश्वर तहसीलों के सरदार सरोवर प्रभावित किसान, मजदूर, मछुआरे, लगभग 1,500 की संख्या में इंदौर स्थित नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कार्यालय पहुंच कर, वरिष्ठ अधिकारी आयुक्त श्रीमती रेणू पंत और संयुक्त निर्देशक श्री. इ. के. खरे के साथ पांच घंटो तक लगातर चर्चा की. चर्चा के दौरान पुनर्वास कार्य में आज भी चल रही गंभीर भ्रष्टाचार की पोलखोल करते हुए धनोरा की भूमिहीन मजदूर पेमल बहन ने अधिकारियो को चुनौती दी की क्षेत्रीय पुनर्वास कार्यालयों में अधिकारियो से ज्यादा सक्रियता दलालों की है. तीस या चालीस हजार एक अधिकारी के एक महीने का तनख्वा है तो क्या एक मजदूर परिवार जीवनभर तीस चालीस हजार रूपये अनुदान ले कर पुनर्वसित हो पाएगा?
जी.आर.ए. के आदेश के बाद भी आज तक मछली समितियों के पंजीकरण नहीं होने पर सावा बहन ने आक्रोश जताया. निसरपूर और बड़दा गांव के विस्थापितों ने घर-प्लाट वितरण और बिक्री में हो रहे करोड़ो के भ्रष्टाचार पर लगातार सवाल उठाया जिस के बाद खरे जी ने घोषित किया की सभी सबंधित जिलाधीशो को निर्देश दी जाएगी की इस सम्बन्ध में जांच करे. बेकवाटर धांधली के मुद्दे पर खलघाट, एकलवारा आदी गावों की हकीकत सुन कर रेणू पंत ने इस मुद्दे पर उच्च अधिकारियो से बात करने का आश्वासन दिया.
अनिल त्रिवेदी, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता, चिन्मय मिश्रा, सर्वोदय प्रेस सर्व्हिस, इंदौर व सामाजिक कार्यकर्ता एवं अन्य समर्थक समूह, इंदौर व अन्य नर्मदा बचाओ आन्दोलन के अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे.