मारुति में मजदूरों पर दमन: अंधेर नगरी और चमगादड़ों का तिमिर-राग
अंधेरे का तिलिस्म जिन चमगादड़ों ने खड़ा किया है, वे इस मामले में मारुति प्रबंधन की शक्ल में हैं, सरकारी पक्ष के वकील हैं, राज्य की कर्मचारी विरोधी सरकार के रूप में हैं, बिकी हुई पुलिस और खुपिफया तंत्रा के तौर पर हैं। अंधे हैं और अंधेरे में शिकार के आदी हैं। इस घटना का ताना-बाना भी इन्हीं का बुना हुआ है ताकि अंधेरे में ये रहें, अंधेरे में लोग रहें और पिफर अंधेरे में इनका ख़ूनी खेल चलता रहे। मजदूर मरे, पिसे, कटे, तबाह हो। ख़ून बहे, नालियों, गलियों, खलिहानों से होता हुआ मुख्य सड़कों और चौराहों तक। सौदे पर सौदा होता रहे और मजदूरों के ख़ून से अघाए हुए ये चमगादड़ मस्त होकर तिमिर-राग गाएं…पाणिनि आनंद का आलेख;
एक बार फिर मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों पर पूंजी की रक्षा में लगी हरियाणा पुलिस व प्रशासन ने दमन तेज कर दिया है। दमन की ताजा तरीन घटना को 19 मई को तब अंजाम दिया गया जब मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों, उनके परिवार व गांव वाले, क्रांतिकारी, प्रगतिशील, लोकतांत्रिक संगठनों व ट्रेड यूनियन संगठनों के कार्यकर्ताओं व सदस्यों समेत लगभग 1500 लोग मारुति सुजुकी के मजदूरों व मजदूर संगठनों के नेताओं को रिहा करने की मांग के लिये शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।
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