अडानी की माइन्स या हाथी, कौन जिम्मेदार है किसानों की तबाही के लिए?
हाथी के हमलों से ग्रामीणों को बचाने में नाकाम वन विभाग व राज्य सरकार के असंवेदनशील रवैये के खिलाफ विशाल सभा व रैली
ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर हसदेव अरण्य क्षेत्र की सभी खनन परियोजनों को निरस्त करने की मांग भी दोहराई
12 फरवरी 2018। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम मोरगा में हसदेव अरण्य संघर्ष समिति एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय सभा एवं रैली का आयोजन कर सरगुजा एवं कोरबा जिले के गांव में मानव हाथी संघर्ष की स्थिति पर चिंता एवं आक्रोश प्रकट किया । ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि खनन परियोजनाओं के कारण ही हाथियों का आबादी क्षेत्रो में हमला बड़ा हैं।
रैली निकालकर 6 बिन्दुओ पर कलेक्टर के नाम पर ज्ञापन वन विभाग के स्थानीय डिप्टी रेंजर को सौंपा। सभा की शुरुवात करते हुए जनपद सदस्य उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में पिछले 2 सप्ताह के अंदर ही हाथियों के हमले से पाँच लोग की मृत्यु और लगभग दो दर्जन घरों को भी भारी नुकसान हुआ है। वर्तमान समय में ग्रामीण दहशत के जिंदगी जीने में मजबूर है। हाथियों की आने जाने की सूचना और उनके हमलों से बचाने के लिए वन विभाग द्वारा प्रभावी भूमिका नहीं निभाये जाने पर उन्होंने नाराजगी जायर की । उन्होंने वन विभाग द्वारा वन के प्रबंधन में की जा रही लापरवाही एवं उदासीनता एवम खनन को मानव हाथी संघर्ष का कारण बताया।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगड़ के 17 जिलों में मानव हाथी संघर्ष की स्थिति बहुत ही गंभीर हो चुकी है। पिछले 5 वर्षों में 200 से अधिक ग्रामीणों की मृत्यु हाथी के हमलों से हो चुकी है। कोरबा और सरगुजा जिले में स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र में भी मानव हाथी संघर्ष की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। सरकार खनन कंपनियों के मुनाफे के लिए हसदेव अरण्य जैसे सघन वन क्षेत्र का विनाश कर रही जिसका खामियाजा यहाँ के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा हैं।
श्री आनंद मिश्रा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस क्षेत्र के जंगलों में पहले भी हाथियों की आवाजाही रही है, परंतु वे इतने आक्रमक नही थे। कोयला खदानों से जंगल उजड़ने के कारण जानवरो के व्यवहार में परिवर्तन आया हैं। ये हमें स्पस्ट संकेत हैं कि यह विकास का रास्ता विनाश की और ले जाएगा।
श्री नंद कुमार कश्यप ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों की आजीविका मुख्यता कृषि एवं वन पर आधारित है जिसे खनन परियोजनों में खत्म किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करते हैं कि कंपनियों की दलाली बंद कर कानूनों का पालन करें और प्रशासन को जनता के प्रति जवाबदेह बनाये न कि कंपनियों के प्रति।
बिलासपुर नेचर क्लब के सदस्य प्रथमेश ने कहा कि लेमरू का क्षेत्र में आदर्श स्थितियां है हाथी के रहवास के लिए सरकार उसे पुनः हाथी रिजर्व बनाये साथी पूरे हसदेव को खनन मुक्क्त करे इससे हाथी और इंसान के बीच का संघर्ष खत्म होगा । सी पी एम के जिला सचिव सम्पूर्ण कुलदीप ने खनन कंपनियों और प्रशासन की सांठगांठ का आरोप लगाते हुए पर्यावरण को बर्बाद करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कोरबा में लोग अपने जंगल जमीन से विस्थापित हो रहे हैं और पुनर्वास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती हैं। आवाज उठाने पर ग्रामीणों पर एक तरफा कार्यवाही कंपनियों के इशारे पर होती हैं।
कार्यक्रम में मोरगा, खिरती, गिड़मूड़ी, पतुरिया डाँड़, धजाक, उच्चलेंगा, मदनपुर, जामपानी, केरहियापारा, सहित सरगुजा के ग्राम साल्ही, फतेहपुर आदि गांव के लोग शामिल हुए।
-आलोक शुक्ला