करछना के किसानों का उत्पीड़न जारी-एक की मृत्यु, दूसरा जेल में बीमार : विरोध में दिल्ली के यूपी भवन पर प्रदर्शन
दिल्ली के उत्तर प्रदेश भवन पर 14 अक्टूबर को सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं और छात्र-नौजवानों के द्वारा इलाहबाद जिले के करछना गांव में शांतिपूर्वक धरना दे रहे ग्रामीणों पर हो रहे बर्बर पुलिसिया दमन और किसानों की जबरन भूमि कब्जाने की सरकारी नीति तथा प्रदेश में बढ़ रहे दलित उत्पीड़न के विरोध में प्रदर्शन किया जायेगा।
स्थान : उत्तर प्रदेश भवन, चाणक्यपुरी,नई दिल्ली
दिनांक : 14 अक्टूबर 2015
समय : सुबह 11 बजे से
सम्पर्क : संजीव 9958797409
करछना के किसानों और उनके परिवार जनों पर पुलिस का दमन अभी भी जारी है। जेल में बंद किसानों के परिवार में से एक परिवार के एक सदस्य की मौत हो चुकी है और एक किसान जेल में बीमार है। जेल में बंद किसानों ने जमानत करवाने से यह कह कर इंकार कर दिया है कि वह अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं न कि कोई अपराध किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए केस दर्ज कर लिया है। साथ ही मामले की वास्तविक स्थितियों को जानने के लिए 15 अक्टूूबर को एक स्वतंत्र फैक्ट-फाइंडिंग टीम इलाहाबाद जा रही है।पेश है करछना से राजेंद्र मिश्रा की रिपोर्ट;
उत्पीड़न का परिणाम है कि बीते 8 अक्टूबर को सहदेव पुत्र श्री शंकर पटेल 65 वर्ष की दहशत एवं घबराहट में आकस्मिक मृत्यु से पूरा गांव एक बार पुनः स्तब्ध रह गया। गांव के अन्य वयोवृद्धों के बीच भी जिनके परिवार के लोग अभी तक जेल में कैद हैं वे भी आये दिन घबराहट के चलते बेहोशी की स्थिति में चले जाते हैं।
प्रशासनिक कार्यवाही एवं पुलिस उत्पीड़न के चलते जेल में बंद 42 बालिग, नाबालिग एवं वृद्धों के बीच भी पारिवारिक संपर्क के अभाव के चलते घबराहट बेचैनी एवं बीमारी की सूचना मिलने लगी है।
बीते 30 सितम्बर को जेल में कैद रामदुलार पटेल पुत्र सियाराम 45 वर्ष की भी तबियत बिगड़ने पर स्वरूपरानी मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह टी.बी. की बीमारी का इलाज करा कर पुनः 7 अक्टूबर को जेल वापस भेज दिया गया। रामदुलार पटेल के घर वालों के कथनानुसार उन्हें कोई बीमारी नहीं थी, जेल जाने के बाद जेल के खराब खान-पान एवं अव्यवस्थित जिंदगी के चलते बीमार होना पड़ा।
इसी तरह जेल के कई अन्य कैदी भी बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इधर प्रशासनिक उत्पीड़न अभियान करछना पुलिस जारी किये हुए है।
भुक्तभोगी परिवारों का कहना है कि कैद किये गये परिजनों को छोड़ा नहीं गया तो और भी कई जाने जा सकती हैं।