अडानी के विकास की बलि पर सरगुजा के आदिवासी
छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के हसदेव अरण्य क्षेत्र स्थित अदानी की पर्सा ईस्ट केते बासन कोल माइन के विस्तार के लिए कल 11 सितम्बर 2016 को तय पर्यावरणीय जनसुनवाई (देखें लिंक http://www.sangharshsamvad.org/2016/08/11_28.html) सम्पन्न हुई। जनसुनवाई से पहले ही अदानी से इसे करने के लिए तरह तरह की तिकड़में रची थीं जिसमे अपने गुंडे बिठाने से लेकर गाँव वालों को डरना धमकाना शामिल था जिससे की लोग डर के मारे जनसुनवाई में भागीदारी ही ना करे और जैव विविधता, दुर्लभपशु-पक्षी से भरपूर इस छेत्र को लूटने की छूट मिल जाए (देखें लिंक-http://www.sangharshsamvad.org/2016/09/blog-post_35.html)। 11 सितंबर को हुई जनसुनवाई में अदानी की यह कोशिश रंग लाई और पूरी जनसुनवाई के दौरान प्रशासन अदानी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास में जुटा नजर आया। हम यहां पर 11 सितंबर की जनसुनवाई पर गिरीश कुमार की रिपोर्ट के साथ-साथ ग्राम सभा परिषद द्वारा जनसुनवाई के विरोध में जिलाधीश को सौंपा गया आवेदन भी साझा कर रहे हैं;
प्रशासन द्वारा दिनांक 11.09.16 को ग्राम बासेन में अदानी कोयला कम्पनी के पक्ष पर्यावरण जन सुनवाई कराया गया, जहां कम्पनी अपने धन बल का उपयोग कर जन सुनवाई की प्रशासनिक रस्म अदायगी पूरा कराया गया।
गांव के कुछ लोगों से चर्चा के दौरान बताया गया कि अदानी समुह के आदमियों द्वारा विगत कई दिनों से ग्राम घाट बर्रा में घर घर में पैसे बाट कर कम्पनी के पक्ष में जन सुनवाई में समर्थन व्यक्त करने की स्क्रिप्ट रटवाई गयी व जन सुनवाई के दिन अदानी के आदमियों द्वारा ग्राम घाटबर्रा के सभी स्क्रिप्ट रटे लोगों को गाड़ियों में भर भर कर लाया गया तथा जन सुनवाई स्थल पर पूलिस की निगरानी में उनकी एक लम्बी कतार बना कर खड़ा कर दिया गया और फिर जन सुनवाई का दौर शुरू किया गया जिसकी बाद में कुछ लोगों द्वारा विरोध भी किया गया किंतु पूरा उपस्थित प्रशासन अदानी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास में जुटा नजर आया। अगर तीव्र विरोध नही हुआ तो अगले 30 तीस वर्षों में समाप्त हो जाएगा आदिवासी जिले सरगुजा का पूरा अस्तित्व.