जिंदल के लिए नए कायदे!
राजस्थान सरकार कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल के जिंदल समूह पर मेहरबानियों की बारिश कर रही है। सरकार ने कंपनी को टेसिं्टग के नाम पर राज्य में दबे लौह अयस्क (आयरन ओर) खजाने को खोदकर बाहर ले जाने की छूट दी है। दिलचस्प यह है कि कायदे कानून नहीं होने के बावजूद सरकार ने अपने ही निदेशालय की राय को दरकिनार कर जिंदल समूह के लिए नए नियम बना दिए। इससे समूह को उसकी मंशा से अघिक करीब 150 करोड़ रूपए का लौह अयस्क बाहर ले जाने की छूट मिल गई है। नए नियम के बारे में खान विभाग ने गत माह नया परिपत्र जारी किया है।
जिंदल समूह की भीलवाड़ा में स्टील प्लांट लगाने की योजना है। इसके लिए उसे भीलवाड़ा जिले में लौह अयस्क की दो खानें आवंटित की गई है। जानकार सूत्रों के अनुसार समूह ने अपनी खानों से दो लाख टन लौह अयस्क निकालने की अनुमति मांगी थी। आवेदन किया कि वह यह माल टेसिं्टग के लिए मून्ध्रा (गुजरात) व विदेश ले जाना चाहता है।
सूत्रों के अनुसार खान निदेशालय ने जिंदल समूह के आवेदन का परीक्षण किया तो पता चला कि माल निकाल कर बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। निदेशालय ने सरकार को भेजी अपनी सिफारिश में साफ कहा कि खान विकास नियम 1957 तथा उससे निर्देशित राज्य खनिज रियायत नियम 1960 में टेसिं्टग के लिए खनन सम्पदा निकाल कर बाहर ले जाने का कोई कायदा कानून नहीं है तथा दो लाख टन माल निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। निदेशालय ने यह रास्ता सुझाया कि प्रोस्पेकिं्टग लाइसेंस की शर्तो के अनुसार ज्यादा से ज्यादा 210 टन माल निकाल कर बाहर ले जाने की छूट दी जा सकती है।
सूत्रों ने बताया कि निदेशालय से आवेदन खारिज होने के बाद केन्द्र सरकार में जिंदल समूह के ऊंचे रसूखों ने अपना करिश्मा दिखाया और कुछ दिन के अन्तराल के बाद राज्य के खान विभाग ने अनापत्ति का परिपत्र जारी कर दिया।