सिंगरौली में पुलिसिया दमन और कंपनियों के गठजोड़ के खिलाफ जनसंगठनों की लामबंदी तेज
पुलिस की तानाशाही बनाम जनता के अधिकार के सवाल पर पूरी ताकत से बोलने
की जरुरत है। अतः आप सबसे अपील है कि आप भी इस अन्याय, आत्याचार के खिलाफ
शांतिपूर्वक तरीके से अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए बड़ी संख्या में 19 मई
को बैढन चलें। सिंगरौली में पुलिस और कंपनियों के गठजोड़ के खिलाफ़
सोमवार 19 मई 2014 को आयोजित एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन के लिये संयुक्त रूप
से जारी परचा;
सिंगरौली आज अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। कंपनी के हितों की रखवाली के इस समय में सरकार के लिए आम जन जीवन चिंता का विषय नहीं है। पुलिस, न्यायपालिका और प्रशासन सब मिलकर बिजली बनाने वालों की हिमायत कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ओर संसाधनों के शोषण से मुनाफा कमाने वाली इन कंपनियों की ताकत केवल पूंजी से ही नहीं आती बल्कि शासन-प्रशासन द्वारा की जाने वाली इनकी चैकीदारी से आती है।
निगरी, चितरंगी, बंधौरा, अमलोरी, सासन, बर्गवा, महान आदि क्षेत्रों में जंगल बचाने और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे लोगों के आंदोलनों का जिस प्रकार पुलिस द्वारा दमन किया जा रहा है वह अन्यायपूर्ण है। सिंगरौली की जनता पुरुखों से जंगल पर निर्भर रही है। महुआ, तेंदू, पत्ता, लकड़ी, चार-चिरौंजी जैसी तमाम चीजें जंगल से मिलती रही हैं। गांव वालों की पूरी जीविका जंगल में है लेकिन कंपनी अपने फायदे के लिए इन जंगलों को खत्म करने पर तुली है। ऐसे में पुलिस को जनता की मदद करनी चाहिए थी लेकिन वो कंपनी के साथ मिलकर जनता के अधिकारों को कुचलने का ही काम कर रही है। लगातार हो रहे विस्थापन ने लोगों को अपने रहन-सहन, संस्कृति, व्यवसाय, नाते-रिश्तेदारों और ज्ञान की परम्परा से दूर कर दिया है।
ऐसे में जब महान जंगल पर निर्भर गांव के लोगों के द्वारा महान संघर्ष समिति बनाकर जंगल पर अपने अधिकार की मांग की गई तो प्रशासन और पुलिस उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है। पुलिस ने 7 मई 2014 को महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं को अवैध रुप से रात के 12 बजे उठाया, आनन-फानन में फर्जी मुकदमे कायम किया। इन फर्जी मुकदमों से यही सन्देश मिलता है अन्यायकारी कंपनियों की खिलाफत को पुलिस अपनी खिलाफत के रुप में देखती है। जिले के आला आधिकारियों के निर्देशन में की गई यह दमनात्मक कार्रवायी इस बात का ऐलान है कि पुलिस हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने के लिए तैयार बैठी है। यह इस बात का ऐलान है कि सिंगरौली के पास अन्याय सहने के सिवा और कोई चारा नहीं है।
हमें इस साजिश के खिलाफ खड़े होने की जरुरत है। हम सब को आपसी एकता कायम करते हुए पुलिस-कंपनी गठजोड़ को तोड़ना होगा। अन्याय के विरोध के अपने अधिकार पर पुलिस द्वारा थोपे गए अघोषित आपातकाल को तोड़ना होगा। पुलिस की तानाशाही बनाम जनता के अधिकार के सवाल पर पूरी ताकत से बोलने की जरुरत है। अतः आप सबसे अपील है कि आप भी इस अन्याय, आत्याचार के खिलाफ शांतिपूर्वक तरीके से अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए बड़ी संख्या में 19 मई को बैढन चलें।
समय- 19 मई 2014, सोमवार
11 बजे दिन।
महान संघर्ष समिति, मयुर संगठन-गोंदवाली,
किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच,
सर्वहित सेवा संस्थान, अमृता सेवा संस्थान, सुविधा सेवा संस्थान।