छत्तीसगढ़ सरकार स्केनिया स्टील पर मेहरबान; छ साल से बिना पर्यावरण स्वीकृति के चल रहा था प्लांट
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के पूंजीपथरा स्थित स्केनिया स्टील एंड पावर लिमिटेड की मुश्किलें बढती नजर आ रही हैं | सन 2008 में उद्योग ने बिना जनसुनवाई करवाये पर्यावरण मंत्रालय से विस्तार हेतु स्वीकृति तो ले ली | लेकिन जन चेतना ने इसके खिलाफ ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर दी | 2012 में ट्रिब्यूनल ने जन चेतना के पक्ष में फैसला देते हुये स्वीकृति पर रोक लगा दी और जनसुनवाई कराने कहा | ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ उद्योग ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई लेकिन वंहा से भी कोई राहत नहीं मिली और कोर्ट ने भी कह दिया जन सुनवाई तो करवानी ही पड़ेगी |
इसी क्रम में दिनांक 25 मई, 2017 को जन सुनवाई करवा दी गई | उद्योग खुश था कि एक बड़ी अड़चन शांति से निपट गई लेकिन उन्हें कंहा मालूम था कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय इस बार उनके मामले में फूंक फूंक कर कदम रखेगा क्योंकि रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में देनी है |
जन सुनवाई के बाद जैसे ही मामला मंत्रालय पहुंचा पहली ही मीटिंग में एक्सपर्ट कमेटी ने पूछ लिया रोलिंग मिल और प्रोडूसर गैस प्लांट बिना पर्यावरण स्वीकृति के 2011 से कैसे चला रहे हो | मंत्रालय ने साफ साफ कह दिया कि ये इ.आई.ए. अधिसूचना का उल्लंघन है | अगर कंपनी इसका कोई विधिसम्मत जवाब नहीं दे पाती तो छ.ग.पर्यावरण सरंक्षण मंडल को उद्योग के विरुद्ध न्यायालय में केस करना पड़ेगा |
गौरतलब ये भी है कि पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद ही पर्यावरण विभाग किसी भी उद्योग को स्थापित करने की अनुमति देता है | इस मामले में विभाग रोलिंग मिल और प्रोडूसर गैस प्लांट के लिये अनुमति पहले ही दे चूका है | देखने वाली बात ये होगी कि क्या मंडल ने भी इ.आई.ए. अधिसूचना का उल्लंघन कर उद्योग को रोलिंग मिल और प्रोडूसर गैस प्लांट लगाने की अनुमति दे दी | अगर ऐसा है तो मामला तो दोनों पर बनना चाहिये| अकेले उद्योग कोर्ट के चक्कर क्यों काटे !
यही नहीं रमेश अग्रवाल के पत्र पर संज्ञान लेते हुये एक्सपर्ट कमेटी ने पूरी और साफ साफ पढ़ सकने योग्य ई.आई.ए. रिपोर्टदुबारावेबसाइट पर डालने कहा है |