रावातभाटा में फिर विकिरण रिसाव: परमाणु के पागलपन में तबाह होती जिंदगियां
एक महीने के अंदर ही रावतभाटा से दुबारा परमाणु रेडियेशन के लीक होने की खबर आई है. इस बार रिएक्टर नंबर चार में कम-से-कम तीन कामगारों को ट्रीशियम के विकिरण की डोज़ लगी है. ट्रीशियम भारी पानी-आधारित रिएक्टरों में बड़ी मात्रा में इस्तेमाल होता है. भारत के ज़्यादातर रिएक्टर भारी पानी आधारित हैं, अर्थात इनमें यूरेनियम ईंधन को लगातार ठंडा करने के लिए भारी पानी (D2O)का इस्तेमाल होता है. भारी पानी (heavy water) हाइड्रोजन के ही एक दूसरे रूप (isotope) से बना रेडियोधर्मी पानी होता है. पानी जैसा ही होने के कारण मानवीय शरीर इसकी अलग से पहचान नहीं कर पाता और भारी पानी से निकला ट्रीशियम शरीर के हर हिस्से में पहुँच जाता है. ट्रीशियम के प्रभाव से कैंसर, आनुवंशिक अपंगता और ऐसी ही अन्य बीमारियाँ पैदा होती हैं.
राजस्थान पत्रिका में 23 जुलाई को छपी खबर. पढने के लिए चित्र पर क्लिक करें. |
हर बार ऐसी घातक दुर्घटनाओं के बाद और देश भर में चल रहे परमाणु-विरोधी आन्दोलनों के मद्देनज़र हमारी सरकार और परमाणु प्रतिष्ठान का एक ही दावा होता है कि परमाणु रिएक्टर पूरी तरह सुरक्षित हैं. फुकुशिमा के बाद एन.पी.सी.आई.एल. ने अफरा-तफरी में एक अंदरूनी जांच कमेटी बनाई और घोषणा कर दी कि देश के सभी परमाणु बिजलीघरों की सुरक्षा का पुख्ता इंतज़ाम कर दिया गया है. लेकिन इस घोषणा के बाद गुजरात के काकरापार, कर्नाटक के कैगा और राजस्थान के रावतभाटा में हुई रेडियेशन-दुर्घटनाएँ ऐसे दावों की पोल खोल देती हैं. जैतापुर, कूडनकुलम, कोवादा, और मीथीविर्दी में लग रहे आयातित रिएक्टरों में तों दुर्घटनाओं की स्थिति में इन विदेशी कंपनियों से मुआवजा वसूलने का प्रावधान भी नहीं है.
पिछले हफ्ते फुकुशिमा पर जारी हुई जापान की स्वतंत्र एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह त्रासदी मानव-निर्मित थी. दरअसल परमाणु ऊर्जा की तकनीक अपनेआप में खतरनाक होती है जहां सदियों तक विष-उत्सर्जन करने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ बड़ी मात्रा में होते हैं, और कोई भी प्राकृतिक आपदा या मानवीय भूल दुर्घटना का कारक बन सकता है.
23 जून को रावतभाटा के नंबर पांच रिएक्टर में ट्रीशियम लीक होने से 38 ठेका-मजदूरों को रेडियेशन की घातक डोज़ लगी थी. इस मामले में प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना रूख सामने आया है. इस दुर्धटना के लिए मुआवजे और दोषियों के खिलाफ कारवाई की मांग परमाणु प्रदूषण संघर्ष समिति की और से की गई है. हम उनका ज्ञापन नीचे दे रहे हैं:
क्रमाक: 1035/जुलाई/2012 दिनाक: 23/7/2012
श्री वी. नारायणस्वामी
राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय
भारत सरकार, नई दिल्लीविषय: राजस्थान परमाणु विधुत परियोजना ईकाई नं0 4 में हुये रेडियेशन रिसाव की उच्चस्तरीय जांच करा-कर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने हेतु
महोदय,
राजस्थान परमाणु विधुत परियोजना में अधिकारियो के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण उक्त सयंत्रो में कई बार प्राण घातक विकिरण युक्त पदार्थो का रिसाव क्षमता से ज्यादा हो चुका है. अभी एक माह मे यह दुसरी बड़ी दुर्घटना है जिसमे पहले 38 लोगों को तथा अब 4 लोगो का विकिरण की अधिक मात्रा लगी है मानवीय दृष्टिकोण से भी यह गम्भीर मामला है इस प्रकार की लापरवाही बड़े हादसे का रूप बन सकती है. कृपया मामले की उच्च-स्तरीय जांच के निर्देश देकर दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का कष्ट करें।
ताकि भविष्य मे किसी बड़ी परमाणु विकिरण की घटना से जन जीवन को प्रभावित होने से बचाया जा सके।
सधन्यवाद,
प्रतिलिपि:
श्रीमान मुख्य प्रबंधक, परमाणु ऊर्जा कार्पोरेशन (NPCIL) लिमिटेड, मुम्बई
श्रीमान उपाध्यक्ष महो0 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, नई दिल्लीभवदीय
जम्बु कुमार जैन
परमाणु प्रदूषण सघंर्ष समिति
रावतभाटा