संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

प्रधानमंत्री हरियाणा में सूखी नहर के किनारे रखेंगे परमाणु संयंत्र की आधारशिला !

जिस नहर के पानी के सहारे ये रिएक्टर दिल्ली से महज एक सौ पचास किलोमीटर दूर लगाया जा रहा है, उस नहर में पिछले पन्द्रह दिन से बिल्कुल पानी नहीं है. फतेहाबाद के गोरखपुर में प्रस्तावित परमाणु संयंत्र की चारों यूनिटों के कूलिंग सिस्टम को चलाने के लिए विशेषज्ञों को अब पानी की चिंता सताने लगी है। कारण अभी हाल ही में कई दिनों तक भाखड़ा में पानी का बंद रहना विशेषज्ञों की चिंता बना है। 

प्रधानमंत्री जी,रहिमन पानी राखिये ! 

जिस नहर के पानी के सहारे ये रिएक्टर् दिल्ली से महज एक सौ पचास किलोमीटर् दूर् लगाया जा रहा है, उस् नहर में पिछले पन्द्रह् दिन से बिल्कुल् पानी नहीं है. फ़तेहाबाद के सुभाष भाई से कल ही मुलाकात हुई.

प्रधानमंत्री को मालूम होना चाहिये पानी रिएक्टरों के लिए कितना ज़रूरी होता है. प्रधानमन्त्री की आंखों में पानी न बचा हो तो भी यह देश चल ही जाता है. लेकिन रिएक्टर? फ़ुकुशिमा वालों से पूछिए !

यही वजह है कि संयंत्र विशेषज्ञ एक बार फिर नए सिरे से परमाणु संयंत्र के लिए पानी का विकल्प तलाशने में जुटे हैं। इससे पहले संयंत्र के लिए भाखड़ा नहर से पानी लेकर संयंत्र के कुलिंग सिस्टम को चलाए जाने के दावे किए जा रहे थे। जब से भाखड़ा नहर बंद हुई है तब से विशेषज्ञों को सांसें अटकी हुई हैं। लोगों को पीने के पानी के लाले पड़े हैं, तो संयंत्र के कूलिंग सिस्टम के लिए पानी का इंतजाम कहां से होगा। अगर परमाणु संयंत्र के शुरू होने के बाद भाखड़ा में इस तरह की रुकावट आई तो संयंत्र के कुलिंग सिस्टम का क्या होगा। वहीं परमाणु संयंत्र विरोधी मोर्चा के डॉ. राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि संयंत्र के कुलिंग सिस्टम को 24 घंटे पूरी मात्रा में पानी न मिले तो सिस्टम आउट ऑफ कंट्रोल हो सकता है। गौरतलब है कि गोरखपुर परमाणु संयंत्र में 700 -700 मेगावाट की 4 यूनिट शुरू की जाएंगी। जिसके लिए मिट्टी की सैंपलिंग की जा रही है।

संयंत्र शुरू होने के बाद भाखड़ा से पानी नहीं मिला तो क्या होगा?

संयंत्र में 700 मेगावाट की 4 यूनिट तैयार की जाएगी। जिसके कूलिंग सिस्टम को चलाने के लिए लगातार 320 क्यूसिक पानी की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा समय में भाखड़ा नहर बीते 10 अप्रैल से बंद है। जिसमें गत 23 अप्रैल को पानी छोड़ा जाना था, जो अब 30 अप्रैल तक छोड़ा जाएगा। भाखड़ा नहर को तीन साल बाद साफ -सफाई के लिए 15 दिन के लिए बंद किया गया था, लेकिन काम पूरा न होने के कारण इसकी अवधि बढ़ा दी गई।

…तो जापान की तरह बेकाबू होंगे हालात

सीएनडीपी (कोअलिशन फॉर न्यूक्लीयर डिसारमामेंट एंड पीस) के रिसर्च स्कॉलर कुमार सुंदरम ने बताया कि अगर इस तरह से भाखड़ा नहर बंद होती रही या फिर प्राकृतिक आपदा के चलते नहर बंद हो जाए, तो परमाणु संयंत्र के कुलिंग सिस्टम को पानी नहीं मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि यह जरूरी है कि संयंत्र के कुलिंग सिस्टम को 24 घंटे निरंतर पानी की सप्लाई मिले। कुमार सुंदरम ने बताया कि फुकुशिमा परमाणु संयंत्र हादसा कुलिंग सिस्टम के ठप होने की वजह से हुआ था। अगर गोरखपुर परमाणु संयंत्र की पानी सप्लाई बाधित हुई तो वही हाल यहां भी होगा। उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार यह तय नहीं कर पाई है कि गोरखपुर परमाणु संयंत्र के लिए लगातार कितने पानी की सप्लाई और कैसे की जाएगी।

अभी रिसर्च की जा रही है : टीआर अरोड़ा

गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत योजना निदेशक टीआर अरोड़ा ने बताया कि संयंत्र के कूलिंग सिस्टम के लिए हर समय 320 क्यूसिक पानी की जरूरत रहेगी। उन्होंने बताया कि भाखड़ा नहर के बंद होने के बाद पानी मिलना मुश्किल है। कूलिंग सिस्टम को निरंतर चालू रखने के लिए विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है कि कूलिंग में कम से कम पानी कैसे लगे। साभार: दैनिक भास्कर
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