संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

किसान मजदूर आयोग ने जारी किया किसान एजेंडा 2024

दिल्ली, 19 मार्च 2024 को किसान मजदूर कमिशन ने दिल्ली के प्रेस क्लब में किसानों के संकट पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस प्रेस वार्ता में जाने-माने पत्रकार पी. साई नाथ के साथ नवशरण सिंह, बीजू कृष्णन, हन्नान मोल्ला, अशोक धावले, बी. वेंकट, जी.एस. गोरिया और सत्यवान विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े हुए नेताओं ने भी अपनी बाते रखीं।

प्रेस को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कृषक खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान ने कहा कि खेती का मुद्दा किसान के साथ पूरी मानवता से जुड़ा हुआ है। किसान की सबसे मुख्य जरूरत बीज और सिंचाई है जो कॉर्पोरेट के कब्जे में है जिससे उनकी लागत बढ़ने के साथ उनकी स्वायत्तता भी खतरे में है। पर्यावरण जलवायु में बदलाव के कारण खेती को नुकसान हो रहा है। किसानों को मिलने वाला मुआवजा कॉर्पोरेट घरानों को दिया जा रहा है। मौजूदा कृषि नीतियों के कारण किसान असमाधेय संकट में फस गया है।

बीजू कृष्णन ने कहा कि सरकार की कृषि नीति के कारण 10 लाख से ज्यादा किसान और खेत मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं। 2014 में मौजूदा केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने का वादा किया था लेकिन सरकार के 10 साल के कार्यकाल में ही चार लाख किसानों और खेत मजदूरों ने आत्महत्या कर लिया।
हन्नान मोल्ला ने कहा कि कृषि नीति ही कृषि का संकट है। आजादी के बाद से जो भी कृषि नीतियां बनी वह किसान विरोधी रही। कृषि नीति के केंद्र में किसान है ही नहीं। हमारी लड़ाई स्वामीनाथन कमीशन को लागू करने की है। किसान मज़दूर आयोग (केएमसी) ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए एजेंडा 2024 जारी किया जो इस प्रकार हैं-

सभी के लिए भूमि, जल और सार्वजनिक उपयोग के स्थानों का अधिकार

1. ज़मीन और जल तक समान पहुंच प्रदान करो; ग्रामीण गरीबों के आवास हेतु भूमि के लिए कानून; खेती के लिए भूमिहीनों को ज़मीन का अधिकार दो; अहातों में साग-सब्जी उगाने, मुर्गी पालन, पशु बाड़ों व समूह कृषि को बढ़ावा दो;
2. भूमिहीनों के बीच पुनर्वितरण के लिए वर्तमान में सार्वजनिक इकाईयों या निजी लोगों के कब्जे वाली सीलिंग से अधिक सारी भूमि को राज्य व केन्द्र सरकार के अधीन करोः उदाहरण के लिए-सिडको, राज्य औद्योगिक एस्टेटों, या रेलवे और राज्य स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों, कॉरपोरेटों के नियन्त्रण में जा रही भूमि, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) के लिए अधिग्रहीत भूमि, जहां घोषित सार्वजनिक उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया गया है;
3. जोतदारों-पट्टेदारों का रजिस्टर तैयार करो और छोटे जोतदारों को सुरक्षित पट्टेदारी प्रदान करो; पट्टेदारों को वैधानिक समर्थन दो, व्यक्तिगत लाभ देने के लिए घोषित योजनाओं के लाभान्वितों के रूप में पट्टेदारों को मान्यता दो तथा सार्वजनिक निवेष से वित्तपोषित क्षेत्र संबंधित योजनाओं के लाभों तक उनकी पहुंच बनाओ;
4. महिलाओं को किसान के रूप में मान्यता दो और उन्हें भूमि का अधिकार प्रदान करो, पट्टे की ज़मीन पर उनके पट्टेदारी के हकों को सुरक्षित करो;
5. आदिवासी किसानों के भूमि अधिकार को मान्यता दो, वन अधिकार कानून (एफआरए) को लागू करो, वनाधिकार के तहत खारिज किये गये सभी मामलों की समीक्षा करो तथा भारतीय वन कानून, 1927 में किये गये कारपोरेट पक्षीय संषोधनों को वापिस लो;

खाद्य, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा का अधिकार

1. सभी के लिए खाद्य वितरण व्यवस्था को आधार व बायोमेट्रिक पहचान से जोड़े बिना तथा सीधे नकद हस्तांरण के बिना, खाद्यानों, पोषक खाद्यान्यों, दालों, चीनी व तेलों की आपूर्ति के लिए विस्तारित करो।
2. सार्वजनिक सेवाओं के अबाध निजीकरण को रोको, सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से शिक्षा व स्वास्थ्य सुनिश्चित करो, पानी, सफाई, स्वास्थ्य और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सभी को प्रदान करो;
3. प्रतिदिन 800 रूपये वेतन की दर से ग्रामीण इलाकों में 100 दिन के काम को 200 दिन तक बढ़ाकर काम की सुरक्षा व न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करो, डिजीटल बाधायें खड़ी किये बिना मनरेगा के मौजूदा 100 दिन काम के प्रावधान को लागू करो;
4. भूमि विकास तथा प्राकृतिक खेती समेत एकीकृत कृषि व्यवस्थाओं (आइएफएस) को अपनाने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य छोटे व सीमान्त किसानों के लिए 100 दिन के श्रम समर्थन प्रावधान की शुरू आत करो और इस तरह 800 रूपये प्रतिदिन की दर पर 200 दिन का ग्रामीण रोजगार दो;
5. वृद्धावस्था पेंशन दो;
6. कृषि कार्यस्थलों पर शिशु देखभाल व शिशुग्रहों की सुविधाये प्रदान करो;
7. जाति, जातीय, धार्मिक व लिंग आधारित अत्याचारों के खिलाफ बचाव के लिए विशेष अदालतें मुहैया कराओ;
8. शहरी रोजगार गारन्टी कानून लाओं, ग्रामीण परिवारों के स्नातकों को आस-पास के नगरों में रोजगार की गारन्टी करो;

सार्वजनिक व बैंक वित्त, उत्पादन सामग्री, ज्ञान व बाजार का अधिकार

1. सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में कृषि में सकल पूंजी निर्माण के मौजूदा स्तर 15.7 प्रतिशत को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए 15वें वित्त आयोग से राज्यों को अतिरिक्त बजटीय संसाधनों की गारन्टी करो;
2. संपूर्ण (औपचारिक व अनौपचारिक) कर्ज़ माफी लागू कर प्राथमिक उत्पादकों को कर्ज़ से मुक्ति की गारन्टी दो, कर्ज़ प्राप्त करने में प्राथमिकता पर प्राइमरी उत्पादकों के हक की बहाली करो, कृषि में उच्च लागत अर्थ व्यवस्था से किसानों को अलग करने के लिए सह-उधारी बंद करो; कृषि संबद्ध क्षेत्रगत पेशों के संदर्भ में आने वाले जलवायु परिवर्तन संबंधी खतरों को कम करो;
3. एकीकृत खेती को बढ़ावा देने के लिए छोटे जोतदारों के हेतु एकल खिड़की कर्ज़ सुविधा प्रदान करो; सार्वजनिक बैंकों से कृषि कर्ज़ तक महिला किसानों की पहुंच बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों और कुटुम्बश्री जैसी संस्थाओं को मज़बूत करो;
4. कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य की गारन्टी करो; टिकाऊ ग्रामीण आजीविकाओं को बढ़ावा देने और सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाने के लिए, ग्रामीण परिवारों द्वारा सहकारिताओं के माध्यम से, आवश्यक उत्पाद/ मूल्य वर्धित घोषित सभी कृषि उत्पादों की सार्वजनिक खरीद के लिए प्रभावी तत्र स्थापित करो;
5. सी 2$50 प्रतिशत के फार्मूले के आधार पर, उत्पादन के लिए आवष्यक घोषित प्राथमिक उत्पाद की खरीद की गारन्टी हेतु सार्वजनिक नियंत्रण वाले बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करो। सार्वजनिक खरीद व मूल्य स्थापित्व फंड के लिए केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय मदद सुनिश्चित करने के साथ ऐसा किया जाना चाहिए;
6. कृषि को डबल्यूटीओ से बाहर लाओं, और मुक्त व्यापार समझौते नहीं तथा बीजों पर बौद्धिक संपदा अधिकार (आई पी आर) जैसे पेटेन्ट नहीं चाहिये;
7. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा बेयर, अमेजन व अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ किये गये समझौतों को वापस लो, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के माध्यम से षोध, सलाह, परीक्षण व विस्तार की गारन्टी करो, कृषि के डिजिटीकरण च कृषि तकनीक आपूर्ति के लिए जरूरी आधारभूत ढांचे के नियंत्रण व राष्ट्रीय स्वामित्व के लिए रास्ता तैयार करो;
8. स्थानीय बाज़ारों से बड़े व्यापारियों को बाहर रखने के लिए, सहकारिताओं सूक्ष्म व छोटे व्यापार तथा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के माध्यम से मूल्य बर्धन को बढ़ावा देने के लिए ‘एगमार्क’ लेबल की जरूरत वाले उत्पादों के लिए कानून के जरिये सेक्टोरल आरक्षण पुनः शुरू करो;
9. प्राथमिक, द्वितीय व तृतीय उद्योगों के कृषि-परिस्थितिकी के साथ एकीकरण को सुनिश्चित करो, तथा वैज्ञानिक व समान भूमि उपयोग, इलाकाई योजना, बाजार विकास व समूह प्रतिष्ठानों के माध्यम से सह-उत्पादों व उप-उत्पादों के मूल्यवर्धन को बढावा देने के लिए वैधानिक बोर्डो की स्थापना के द्वारा राज्य/जिला योजना बहाल करो;
10. टिकाऊ मछलीपालन तथा मछुआरों समेत छोटे मछली श्रमिकों, मछली किसानों, विक्रेताओं तथा अन्य मछली श्रमिकों को बचाने व बढ़ाने के उद्देष्य के साथ केन्द्र व राज्य सरकारों में अलग फिषरीज मंत्रालय हों;
11. नीति क्रिर्यान्वयन, अंतर्राज्यीय विवादों, छोटे मछुआरा समुदायों के अधिकारों के विषय में ध्यान देने के लिए राष्ट्रीय फिषरीज आयोग स्थापित करो;
12. प्रत्येक राज्य में ‘कृषि व किसान कल्याण आयोग’ का गठन करो;
13. भारत की डेयरी सहकारिताओं को खतरा पैदा करने वाली निजी डेयरी कारपोरेट कंपनियों और विदेशी डेयरी उत्पादों के आयात पर रोक लगाओं;
14. दुग्ध व दुग्ध आधारित उत्पादों के संदर्भ में भारतीय बाजार को खोलने और मुक्त व्यापार की इज़ाजत देने की योजना को त्याग दो;
15. दूध व दूध उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करो;
16. पशु व्यापार बाज़ारों को पुनः खोलो;
17. आवारा पशुओं की समस्या को समाप्त करो;
18. साझा संपदा संसाधनों के पुनर्जीवन के लिए सार्वजनिक सहायता प्रदान करो;
19. किसान मज़दूर सहकारिताओं/समूह प्रतिष्ठानों जैसे स्थानीय कलेक्टिवों के निर्माण व मूल्यवर्धन के लिए संसाधनों को जमा करने का अधिकार प्रदान करो;

नेशन फॉर फारमर्स की तरफ से जारी

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