‘अनिवासी’ सारंडावासी !
झारखण्ड के सारंडा जंगल के बीच तकरीबन सौ गांव ऐसे हैं जिनके बारे में औपचारिक रूप
से राज्य या केंद्र सरकार को कोई जानकारी नहीं है. जाहिर है कि तब यहां के
निवासियों की गिनती भी राज्य के बाशिंदों में नहीं होती. ये न वनग्राम
हैं, न राजस्वग्राम. इस ‘प्रोटेक्टेड फोरेस्ट’ में रहने वाले करीब 25 हजार
आदिवासी व अन्य वन निवासी बिना किसी ‘पता’ के हैं. पहचान पत्र नहीं होने के
कारण उन्हें वोट देने का अधिकार भी नहीं. पेश है तहलका से साभार जसिन्ता केरकेट्टा का आलेख;