डांगावास दलित नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन !
राजस्थान के जयपुर शहर में सामाजिक संगठनों के संयुक्त बैनर तले 27 मई को नागौर के डांगावास में हुए दलित संहार की घटना के विरोध में प्रदर्शन कर गृहमंत्री को ज्ञापन दिया गया;
14 मई, 2015 को हुये डांगावास दलित संहार को 2 हफ्ते हो चले है। 23 मई को हमने आपको ज्ञापन दिया था और मांग की थी कि सी.बी.आई. को जांच दे दी जाए, जिम्मेवार पद पर पदासीन एस.पी., कलेक्टर, अतिरिक्त एस.पी., एस.डी.एम., डी.वाई. एस.पी. व मेडता थाने के पूरे स्टाफ को निलम्बित किया जाये। लेकिन आज दिन तक केवल प्रतिकात्मक कार्यवाही हुई है।
अखबारों के जरिये मालूम पड़ा कि दिनांक 24 मई की रात को सरकार ने फैसला लिया कि जांच को सी.बी.आई. को दी जायेगी। पत्र क्या सी.बी.आई. को गया या अभी नहीं गया है? अगर पत्र चला गया है तो सी.बी.आई. से क्या जवाब आया है और अगर नहीं गया है तो कब तक जाने की संभावना है। हमें इन प्रश्नों का उत्तर कृपया देने का कष्ट करे।
मेड़ता व नागौर में पदासीन अधिकारीयों की निलम्बन की मांग।
हमारा मानना है कि डांगावास जैसे दलित संहार की जिम्मेवारी जिला व मेडता स्तर पर सभी अधिकारीयों को लेनी चाहिए। आखिर इस तरह का कत्लेआम संभव ही नहीं था बिना पुलिस के बाहर रखें। जैसे कि पूर्व में हमने आपको सूचित किया कि सुबह गांव से अतिरिक्त एस.पी. प्यारे लाल शिवरान जाट के पास मोबाईल नं. 9783947748 से फोन आया। 4 मिनट बात हुई थी और उसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक का फोन स्वीच ऑफ हो गया। साथ ही पूर्व सरपंच कमेडिया जाट द्वारा मेडता सीटी थानाधिकारी नग्गाराम जाट को फोन पर काम तमाम कर दो घण्टे देरी से आने को कहा गया। एस.डी.एम. द्वारा तो कुछ दिन पहले हुये रेवेन्यू कैम्प में जमीन के मसले को हल नहीं करने की ढीटाई दिखाई गई थी। इसी तरह कलेक्टर और एस.पी. की नैतिक जिम्मेदारी बनती है क्यों कि उनसे सूचना छुपाई गई, जिससे उनके नैतृत्व पर ही प्रश्न चिन्ह उठता है।
कलेक्टर एवं एस.पी. संविधान में उल्लेखित कल्याणकारी राज्य के प्रतिनिधी है। यह घटना राज्य की सम्पूर्ण असफलता की मिसाल है। इस लिए हमारी मांग है:-
- एस.पी. राघवेन्द्र सुहासा को निलम्बित किया जाये।
- कलेक्टर राजन विशाल को निलम्बित किया जाये।
- अतिरिक्त एस.पी. प्यारे लाल शिवरान जाट को बर्खास्त किया जाये।
- एस.डी.एम. मेडता सीटी को निलम्बित किया जाये।
- उप पुलिस अधिक्षक पूरणाराम को निलम्बित किया जाये, केवल ए.पी.ओ. करना जवाबदेही की पूर्ती नहीं है।
- पूरा मेडता थाना निलम्बित किया जाये क्योंकि यह पूरे थाने की साजिश थी कि यह हुआ आखिर बीड कॉस्टेबल भी तो था।
अन्य मांगे:-
- इसके अलावा हमारी मांग है कि जे.एल.एन. अस्पताल से पीडितो को एम्स भेजा जाये।
- सभी मृतक व गंभीर रूप से पीड़ित के आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाये।
- जाति पंचायते रोकी जाये।
- उच्च स्तरिय जांच समिति या रिटायर्ड जज से पूरे मसले की जांच करवाई जाये।
हम है राजस्थान के विभिन्न संगठन प्रतिनिधी, नौजवान व अन्यः
सम्पर्क: कविता श्रीवास्तव -9351562965, सतीश-9982246312,