अस्तरंग बंदरगाह : भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन की आवाज़ बुलंद
ओडिशा के समुन्द्ररी तट पर पुरी जिले का अस्तरंग ब्लॉक अलीविरडले कछुआ की सामूहिक अण्डा दान स्थली के लिए विश्व प्रसिद्द है. परन्तु जल्दी ही इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली है क्योंकि सरकार ने इस हरे भरे क्षेत्र के लिए जो योजना बनायी है वह इस क्षेत्र को बर्बाद कर देगी. ओडिशा सरकार अपने तटीय क्षेत्र को बर्बाद करने की नीति पर अभी भी कायम है इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए वह पुरी जिले के अस्तरंग ब्लॉक में देवी नदी के मुहाने पर एक प्राइवेट बंदरगाह बनाने जा रही है. इस संबंध में ओडिशा सरकार हैदराबाद की कंपनी नवायुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसी) के साथ 2008 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर कर चुकी है.
क्र.सं. गांवों के नाम क्षेत्रफल एकड़ में कुल जमीन
सरकारी भूमि निजी भूमि
1. गुनडालाबा 37.680 124.150 161.830
2. साहान 261.120 253.970 515.090
3. सुधाकेश्वर 5.450 905.759 911.209
4. छुरियाना 286.540 437.065 723.605
5. नानपुर 90.220 108.720 198.940
6. डलुआकानी 169.370 90.898 260.268
7. सुंदर 50.530 209.390 259.920
8. कानामाना 78.200 199.810 278.010
9. कुसुम्बर 2.120 12.710 14.830
10. पताल्दा 12.700 67.185 79.885
11. तिमोर 311.490 26.210 337.700
12. अस्तरंग 58.800 – 58.800
13. दामासुन 99.900 – 99.900
कुल योग 1,464.120 2,435.867 3,899.987
इस अंचल का कृषि उत्पादन देश तथा राज्य में कृषि उत्पादन में किसी भी हाल में कम नहीं है। यहाँ की उर्वरक मिट्टी समृद्द कृषि के लिए जानी जाती है। यहां के जंगल से प्राप्त उत्पाद एवं कृषि उत्पाद केवल स्थानीय लोगों की सामाजिक आर्थिक उन्नति में ही सहायक नहीं है बल्कि उन्हें ओड़िशा और ओड़िशा के बाहर भी विभिन्न कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाता है। जैसे की धान-पान मछली, चिनिया बेदाम, काजू, दाल, सब्जी, तिल्हन आदि ।
यह क्षेत्र विश्व के 5 अलीविरडले कछुआ गाथअन्डा दान स्थली या सामूहिक अण्डा दान स्थली में से एक हैं. भारत में यह एकमात्र क्षेत्र है जहाँ पर कछुवें सामूहिक रूप से अपने अंडे देते हैं. यहाँ पर हजारों की संख्या में अलीविरडले कछुआ सामूहिक अण्डा दान करने आते हैं.
फ़िलहाल भूमि अधिग्रहण विरोधी पीर जहानिया भीटा माटी सुरक्षा मंच आंदोलन में डटा हैं. प्रभावित होने वाले गांवों में स्थानीय समुदाय को एकजुट करने में लगा है.