प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ नैनीसार में प्रतिरोध सभा
सम्मानित साथियों,
राज्य बनने के बाद प्राकृतिक संसाधनों की जो निर्मम लूट उत्तराखण्ड में हुई है, नैनीसार उसका एक उदाहरण है। हम सब जानते हैं कि उत्तराखण्ड में जब आपदा व विस्थापन के मारे लाखों लोग भूमिहीन गरीब, दलित एक-एक इंच जमीन के लिये दशकों से तरस रहे हैं तब वर्तमान सरकार के मुखिया हरीश रावत ने तमाम कायदे, कानूनों को ताक में रखकर फर्जीवाड़े से नैनीसार की सैकड़ों नाली भूमि पर जिंदल की हिमांशु एजुकेशनल सोसायटी को आवंटित कर अवैध कब्जा करा दिया। आज अपने ही सत्ता के पापों से मात खा चुके, स्टिंग आपरेशन में खुले आम पकड़े जा चुके, वही हरीश रावत बेशर्मी से खुद को शहीद बताने की तिकड़म में लगे हैं। पर जनता जानती है ‘खाता न बही, जो हरीश कहे वही सही’ जैसे हिटलरी फरमान जारी करने वाले, मुख्यमंत्री कार्यालय को गुण्डों, कमीशनखोरों, रेता बजरी, शराब व जमीन के लुटेरों का अड्डा बनाकर सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्ताओं को बाउन्सरों से पिटवाकर उन्हीं को गिरफ्तार करने वाले हिटलरों, उनके गिरोह को कैसे सबक सिखाना है।
मित्रों, सत्ता का लगातार दुरूपयोग कर रहे इन लुटेरों को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने से धक्का लगा है। आज अपने को जन प्रतिनिधि कहने वाले उनके विधायक राजनीति की मण्डी में बाधक बनकर अपनी आजादी को तरस रहे हैं। हमेशा लुटेरों के साथ खड़े होकर अन्याय करने वाले, जनता की गाढ़ी कमाई से चमचमाती गाड़ियों, हैलीकॉप्टरों में मौज करने वाले इनके बेबस दायित्वधारियों को आज मंदिरों में फरियाद करते देखना जनता के लिये सुखद अनुभव है।
मित्रों, माफियाराज को मिले इस थोड़े सबक के बावजूद नैनीसार की लड़ाई अभी जारी है। नैनीसार में पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से मनमानी करने वाले पर्यावरण का विनाश कर गोचर, वन पंचायत भूमि पर कब्जा करने वाले बिना अनुमति के जे.सी.बी. चलाने वाले, न्यायपूर्ण संघर्षों को पुलिस व बाउन्सरों से जनता को आतंकित करने वाले जिंदलों को सबक सिखाना, इनको गलत तरीके से आवंटित भूमि को वापस लेना, पूरे मामले की निष्पक्ष सी.बी.आई. जांच कराकर जिंदल जैसे गुण्डों को सलाखों के पीछे भेजना अभी बाकी है, जिसके लिये लम्बी लड़ाई लड़नी होगी।
साथियों, नैनीसार जैसे संघर्ष ने हमेशा यह बताया है कि अत्याचारी सत्ताओं के सामने हिम्मत से खड़ी होने वाली जनता ही परिवर्तन ला सकती है। परिवर्तन का यह सतत संघर्ष अभी जारी है। इसी क्रम में आजादी के संघर्ष में गोरे अंग्रेजों के खिलाफ बलिदान का प्रतीक रहे जलियांवाला बाग काण्ड की पुण्य तिथि पर 13 अप्रैल, 2016 को प्रातः 11.00 बजे से नैनीसार (द्वारसों) में प्राकृतिक संसाधनों की लूट व राजकीय दमन के खिलाफ एक प्रदर्शन व जन सभा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश व उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक आंदेालनकारी भी भाग लेंगे। हमारा उत्तराखण्ड के तमाम संघर्षशील साथियों, छात्रों, महिलाओं, श्रमिक संगठनों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकताओं, क्षेत्रीय जनता से अनुरोध है कि इस आंदोलन में शामिल होकर राज्य में चल रही प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर कारगर रोक लगाने व नैनीसार के लुटेरों को सबक सिखाने हेतु 13 अप्रैल, 2016 को प्रातः 11.00 बजे नैनीसार (द्वारसों) अवश्य पहुंचें।
संघर्षशील अभिवादन के साथ
नैनीसार बचाओ संघर्ष समिति