नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर के प्रभावित क्षेत्रो में पुनार्वास के दावे खोखले : जाँच दल
बडवानी, मई 11, 2015, नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बाँध से विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास (जैसा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है), एवं विथापितों को मिले पुनर्वास और मुआवजे की गुणवता एवं वस्तुस्तिथि को समझाने के लिए एक केन्द्रीय सत्य-शोधन दल ने मई 9-10 को नर्मदा घाटी के तीन जिलों के लगभग 10 गाँवों में दौरा किया | मध्य-प्रदेश, गुजरात और केन्द्रीय सरकार का दावा जो शत-प्रतिशत प्रभावित लोगो को पुनर्वास हो चुका है, उसकी पड़ताल की| बेक वाटर लेवल जिसके आधार पर सरकार ने लोगों का विथापन तय किया है और दावा किया है की बाँध की ऊंचाई बढ़ने से कोई अतिरिक्त डूब नहीं आएगी, इसकी भी जांच की | नर्मदा घाटी के लोगो से मिली शिकायत कि हज़ारों लोग अभी भी पुनर्वास से वंचित है, सरकारी दावे पर प्रश्न चिन्ह खड़े करते हैं |
ज़मीनी सच्चाई क्या है, यह जानने के लिए एक 6 सदसीय दल जिसमे भारतीय किसान सभा के महामंत्री और आठ बार सांसद रह चुके हन्नान मोल्लाह, राष्ट्रीय भारतीय महिला महासंघ की महा सचिव एनी राजा, केरल के भूतपूर्व वन मंत्री बिनोय विस्वम जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य भी है, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जल विशेषज्ञ राज कचरू, भूतपूर्व विधायक व समाजवादी समागम के मार्गदर्शक डॉ. सुनीलम एवं ऊर्जा एवं प्रसिद्ध पर्यावरण विशेषज्ञ सौम्य दत्ता सदस्य थे | जनता दल (यु) के सांसद श्री के सी त्यागी और श्री राज बब्बर, अभिनेता और पूर्व सांसद, तकनीकी कारणों सी आखरी मौके पर दल में शामिल नहीं सके |
इस दो दिवसीय दौरे में सत्य-शोधक दल धार जिले के खलघाट/गाजीपुर बस्ती, धरमपुरी नगर, एकल्वारा, चिखल्दा, निसरपुर गाँव व बडवानी जिले के भीलखेडा, राजघाट एवं पिपरी, खर्या भादल गाँव का दौरा किया | इसके अलावा अलीराजपुर जिले के ककराना, सुगट, झंडाना एवं महाराष्ट्र के भादल, दुधिया, चिमाल्खेदी, झापी, फलाई, डनेल आदि गाँवों के आदिवासियों एवं गुजरात के धरमपुरी वसाहत के प्रतिनिधियों ने दल के सामने अपना बयान प्रस्तुत किया जिसमे लग-भाग 6 से 5 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया | इसके साथ दल बडवानी के वर्तमान विधायक रमेश पटेल और जनपद अध्यक्ष से भी मिले व सच्चाई जानी |
इन हज़ारों प्रभावित लोगों के बयान से, इनके प्रस्तुत किये हुए दस्तावेजों और इन ग्रामो के अलग-अलग फलियों में जाएजा लेने के बाद दल ने पाया:
- हजारों परिवार अभी भी सही मुआवजा और पुनर्वास से वंचित है और सरकारें वर्षों से इनकी समस्या के प्रति उदासीन है |
- सेकड़ों परिवार और उनका घर जो डूब क्षेत्र में आने वाले है और प्रभावितों का सरकारी आंकड़े से अभी भी बाहर है और इनको तुरंत सही आंकलन होना चाहिए | सौम्य दत्ता के मुताबिक सरदार सरोवर बाँध की 122 मी. के वर्तमान की ऊँचाई पर भी ऐसे बहुत सारे परिवार और उनकी ज़मीन प्रभावित हो रही है जो सरकारी आंकलन से बाहर है, और बाँध को 17 मी. ऊँचाई बढाने का केन्द्रीय सरकार के फैसले से निमाड़ का समतल क्षेत्र-फल डूब क्षेत्र में आ जायेगा जो एक बड़े तबाही का शुरुवात हो सकती है | इसके चलते हज़ारो एकड़ उपजाऊ ज़मीन डूब में जाएगी और खाद्य सुरक्षा के स्थानीय प्रबंधन को हानि पहुचायेगी |
- पुनर्वास की नीति और पुनर्वास पर उच्चतम न्यायलय / नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के आदेश का उलंघन बड़े पैमाने पर चल रहा है और आगे चल कर विस्फोटक स्थिती पैदा कर सकता है |
- दल ने यह भी पाया कि वसाहट स्थलों की स्थति दयनीय है जो की मूल-भूत सुविधाए जैसे सड़क, पानी की सुविधा, बिजली इत्यादि उपलब्ध नहीं है | साथ ही विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र इत्यादि का भी सही प्रबंध नहीं है जिसके चलते विस्थापित लोग इन वसाहट स्थल में रहने से इनकार कर रहे है |
- पुनर्वास की अनिवार्य मांग-ज़मीन के बदले ज़मीन जिसको पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्र में ज़मीन को चिन्हित और उपलब्ध करवाना सरकार की ज़िम्मेदारी है, उसमे मध्य-प्रदेश सरकार से कोई प्रयास नहीं दिख रहा है और यह पुनर्वास में सबसी बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही ही |
- बहुत सारे लोगों ने यह भी प्रस्तुत किया कि फर्जी तरीके से ज़मीन अयोग्य व्यक्तियों को दी गयी | व्यापक घोटाला झा आयोग से समक्ष विचाराधीन है | दल ने यह भी पाया की बहुत सारे विस्थापितों के मुआवज़े के राशि का एक हिस्सा सरकारी अधिकारी व दलाल की सांठ-गाँठ से गबन कर लिया गया |
- दल के सामने यह भी एक गंभीर विषय उजागर हुआ कि भारतीय संविधान द्वारा बनाये आदिवासियों के लिए विशेष प्रावधानों का पूरा उललंघन सरकार द्वारा किया जा रहा है और अभी भी हो रहा है |
- दल ने यह भी पाया की पुनर्वास के लिए गुजरात में डबोही नगर पंचायत के पास दी गयी वसाहट की ज़मीन अब विस्थापितों से वापस ली जा रही है |
- दल ने यह भी पाया कि आजीविका-आधारित पुनर्वास के उच्चतम न्यायलय का उल्लंघन हो रहा है और महाराष्ट्र के तौर पर मछुआरों को मछली मारने का अधिकार देने में मध्य प्रदेश सरकार उदासीन है |
- दल के सदस्य एवं जल विशेषज्ञ राज कचरू ने जानकारी दी की बेक-वाटर से प्रभावित क्षेत्र सरकारी आंकलन से काफी ज्यादा है और बाँध की ऊंचाई पूरी होने के बाद मानसून में घाटी में बाढ़ के कारण अप्रत्याशित क्षति होगी जिसे सरकार मानने को तैयार नहीं है | ज्ञातव्य हो की २०१२ और १३ दोनों साल बाढ़ का पानी कई गाँव में सरकारी आंकड़ों को लांघ चुका था, फिर भी सरकार सही आंकलन के लिए तैयार नहीं है |
सत्य-शोधन दल जल्द ही अपनी वृस्तृत रपट केन्द्रीय सरकार, सम्बंधित सरकारे एवं प्राधिकरणों को पेश करेंगे और देश की जनता के सामने भीं यह सच्चाई सामने लायेंगे | इसको लेकर राजनैतिक दलों, किसान संगठनो और सामाजिक संगठनों ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है |
हनन मोल्लाह एनी राजा बिनोय विस्वाम सौम्य दत्ता
डॉ. सुनीलम राज कचरू