भूषण इंडस्ट्रीज़ के एमडी समेत छह अफ़सरों को तीन साल की जेल
भूषण इंडस्ट्रीज़ के एमडी समेत छह अफ़सरों को बिजली चोरी के 23 साल पुराने मामले में 3 साल की जेल और प्रत्येक पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस चोरी से सरकार को 3.06 करोड़ रुपये का चूना लगा था। पढ़े अभिषेक श्रीवास्तव की टिप्पणी;
चंडीगढ़, 3 सितंबर: सीबीआइ की एक अदालत ने भूषण इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन (बीआइसी) के प्रबंध निदेशक बृज भूषण सिंघल समेत केंद्र शासित प्रदेश के बिजली विभाग और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के छह पूर्व अफ़सरों को तीन साल की कैद की सज़ा सुनाई है। बिजली चोरी के इस 23 साल पुराने मामले में प्रत्येक पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इस चोरी से केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) को 3.06 करोड़ रुपये का चूना लगा था।
अदालत द्वारा जिन छह अन्य लोगों को सज़ा सुनाई गई है, उनमें यूटी बिजली विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता वीके महेंद्रू, तत्कालीन वाणिज्यिक अभियन्ता दीपक चोपड़ा, तत्कालीन कनिष्ठ अभियन्ता तरसेम लाल अगरवाल, तत्कालीन सहायक कार्यकारी अभियन्ता हरजिंदर सिंह बरार और बीबीएमबी के अफ़सर तत्कालीन कनिष्ठ अभियन्ता मंगत पटेल व तत्कालीन सब-स्टेशन अभियन्ता जागीर सिंह शामिल हैं।
सीबीआइ ने 14 दिसंबर, 1993 को भारतीय विद्युत अधिनियम, 1910 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के अंतर्गत भूषण इंडस्ट्रीज़ के एमडी और छह अफसरों को दोषी ठहराया था। इस मामले में सीबीआइ ने फरवरी 2001 में आरोपपत्र दायर किया था।
इसके बाद अदालत ने फरवरी 2006 में दोषियों पर आरोप तय किए। आरोप अप्रैल 1985 से जुलाई 1988 के बीच बिजली चोरी से जुड़े एक मामले से संबंधित था।