किसानों का अंतिम फैसला, हम जमीन नहीं देंगे
नवलगढ़ क्षेत्र के किसानों ने प्रशासन को दो टूक कह दिया है कि जमीन का अधिग्रहण किसी सूरत में नहीं होने देंगे। वे सीमेंट फैक्ट्रियों के लिए अपनी जमीन नहीं देंगे। किसानों की ओर से मुख्यालय पर दिए जा रहे धरने को 27 अगस्त 2012 को 730 दिन पूरे हो जायेंगे। प्रशासन ने किसानों के प्रतिनिधियों को 4 अप्रैल 2012 को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।
कलेक्टर की पहल पर हुई वार्ता में प्रशासन व रीको के अधिकारी भी मौजूद थे। किसान संघर्ष समिति के संयोजक कैप्टन दीपसिंह शेखावत ने कहा कि किसानों ने फैसला कर लिया है कि अपनी मातृभूमि को किसी भी सूरत में नहीं बेचेंगे क्योंकि यह अधिग्रहण जनहित के खिलाफ है। सुभाष बुगालिया व नौरंगलाल दूत ने कहा कि क्षेत्र में हजारों खेजड़ी के पेड़ काट दिए गए लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई किसानों की मांग है कि हरे पेड़ काटने के मामले की जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाय।
किसानों को आश्वासन देते हुए एसडीएम कनिष्क सैनी ने कहा कि मंदिर, तालाब व गैर मुमकिन जोहड़ की भूमि का अधिग्रहण कोर्ट के निर्णय के बाद ही होगा। किसानों के अंतिम फैसले के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया जाएगा। डीएसपी सत्येंद्रपाल ने कहा कि भूमि पर जबरन कब्जा करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी।
अधिग्रहण और संघर्ष में अब तक क्या?
नवलगढ़ उपखंड क्षेत्र में सीमेंट कंपनियों के लगने की घोषणा 2002 में की गई थी। इसके बाद कंपनियों पर वर्ष 2005 में स्टे भी आ गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में पेशी के लिए वकील तैयार नहीं होने के कारण वर्ष 2007 में स्टे हट गया। जानकारी के अनुसार श्री सीमेंट कंपनी को लगभग 6471 हजार बीघा जमीन, आईसीएल कंपनी को ६००० हजार बीघा, अल्ट्राटै्रक को करीब 8054 हजार बीघा भूमि की जरूरत है। तीनों कंपनियों के लिए करीब 72 हजार बीघा जमीन लीज एरिया में शामिल की गई है। आईसीएल कंपनी ने भूमि अधिग्रहण के संबंध में कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। अल्ट्राटै्रक कंपनी के दावे के अनुसार कंपनी ने अब तक चार हजार बीघा व श्री सीमेंट कंपनी के दावे के अनुसार कंपनी ने अब तक 2500 बीघा जमीन खरीद ली है। श्री सीमेंट की ओर से 27.85 करोड़ रुपए के अवार्ड राशि के चेक भेजे गए हैं। कंपनी का दावा है कि चार करोड़ रुपए के चेक उठ गए हैं। जबकि किसान संघर्ष समिति का दावा है कि किसानों ने अभी तक सिर्फ दो करोड़ रुपए की अवार्ड राशि के चेक ही प्राप्त किए हैं। संघर्ष समिति कंपनियों के दावे को झूठा बता रही है। इन कंपनियों के आने से 20 गांवों के करीब एक लाख लोग प्रभावित होंगे। इसमें सीकर जिले की भी दो ग्राम पंचायतें शामिल हैं। किसान संघर्ष समिति के संयोजक कैप्टन दीपसिंह के अनुसार प्रभावित क्षेत्र में करीब 20 हजार से अधिक हरे पेड़ काटे जा चुके हैं।
जमीन पर सरकार का नहीं, किसान का अधिकार: बाबा रामदेव किसान संघर्ष समिति के समर्थन में आया
योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा है कि जमीन पर सरकार का नहीं किसान का अधिकार है। सरकार पूंजीपतियों के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर किसानों का शोषण कर रही है। 20 मई 2012 को सूर्य मंडल खेल मैदान में भूमि अधिग्रहण के विरोध में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि किसान को मजदूर बनाने की सरकार की इस मुहिम को कानून से नहीं जीता जा सकेगा। यदि भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन होगा तो उसमें भी पुजीपतियों का ही फायदा देखा जाएगा। किसान एकजुट रहकर ही अपनी जमीन बचा पाएंगे।