पोस्को: बर्बर दमन व छल के बीच जारी है प्रतिरोध
प्रशांत का संपर्क है:
प्रशांत पैकरा
प्रवक्ता, पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति,
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अभी हाल ही में सरकार तथा पोस्को कंपनी द्वारा जनमानस को भ्रमित करने के लिए एक ‘मीडिया अभियान’ शुरू किया गया है जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि प्रस्तावित स्टील प्लांट का आकार छोटा कर दिया है तथा स्थानीय लोगों का उन्हें सहयोग मिल रहा है और स्टील प्लांट का निर्माण कार्य अक्टूबर 2012 में शुरू हो जायेगा। स्पष्ट रूप से यह “मीडिया अभियान” संयंत्र के समर्थन में ‘फील गुड’ माहौल पैदा करने के लिए शुरू किया गया है। इन दावों से सावधान रहिये, क्योंकि इनमें से ज्यादातर दावे चकित कर देने वाले हैं।
जबकि असलियत यह है कि लोग अभी भी इस संयंत्र का जोरदार विरोध कर रहे हैं। अभी 9 जुलाई 2012 को भारी बारिश के बावजूद 700 ग्रामवासियों ने ढिंकिया गांव में एक रैली में हिस्सा लिया। नवीन पटनायक सरकार द्वारा प्रस्तावित पोस्को स्टील प्लांट सयंत्र के लिए हमारी भूमि का अधिग्रहण करने की इस चाल के खिलाफ हमने अपने मजबूत विरोध को दोहराया है।
700 एकड़ सरकारी जमीन, जिसमें 500 से ज्यादा पान की बेलों की खेती है तथा एक लाख से ज्यादा काजू के पेड़ हैं जो कि हमारे गांव वालों से संबंधित हैं, राज्य सरकार इसे हथियाने की तैयारी कर रही है। गोविंदपुर गांव से जुड़ी इस 700 एकड़ वन भूमि को अधिग्रहित करने के लिए कंपनी तथा सरकार हमारे लोगों पर ‘फांसो और बांटो’ तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। यद्यपि हम इन कुटिल चालों को हराने के लिए दृढ़निश्चित हैं जो कि हमारी एकजुटता तथा एकता को साबित करता है।
मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि इसी तरह की बैठकें दूसरे गांवों, जैसे गोविंदपुर, पाटाना तथा नुआगांव में भी आयोजित की जायेगी। इसके बाद बाताईकीरा पर एक बड़ी रैली करने की तैयारी की जायेगी। जैसा कि आप जानते होंगे, बाताईकीरा पर हमारे गांववाले जून 2011 से लगातार धरने पर बैठे हैं। गांववालों ने यह वादा किया है कि यह पोस्को के लिए सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण करने की किसी भी कोशिश को विफल कर देंगे। हमारे लोगों ने कई जगह पर बैरिकेट लगा दिए हैं ताकि सरकारी अधिकारी इन क्षेत्रों में प्रवेश न कर सकें।
हमें मीडिया द्वारा यह पता चला है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दक्षिण कोरिया सरकार को यह आश्वासन दिया है कि संयंत्र का निर्माण कार्य जुलाई 2012 से दुबारा शुरू हो जोयगा तथा साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण समेत सारी औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी की जायें।
सरकार तथा पोस्को द्वारा स्टील प्लांट की क्षमता को 12 एमटी से 8 एमटी कर देना इसके लिए 4004 एकड़ भूमि की जरूरत को घटा कर 2700 एकड़ करना, इसी कड़ी में ताजा कदम है। सरकार कह रही है कि वह पोस्को के लिए निजी भूमि का अधिग्रहण नहीं करेगी। प्लांट के साइज को कम करना तथा निजी भूमि का अधिग्रहण न करना, इसका कोई मतलब नहीं रह जाता। क्योंकि इसमें अभी भी बड़ी मात्रा में सरकारी जमीन का हथियाया जाना शामिल है। जिस पर वनाधिकार कानून 2006 के तहत हमारा कानूनी अधिकार है। हमारे लोग सरकार तथा पोस्को की इस चतुरता को अच्छी तरह से जानते हैं कि वह हमारी उपजाऊ कृषि भूमि को धीरे-धीरे हथियाकर हमारी आत्मनिर्भर तथा टिकाऊ अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देंगे। प्रशासन बीते सालों में एक एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी नहीं कर पाया है और ना ही कर पायेगा।
आप जानते होंगे कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 30 मार्च 2012 को 2011 के पर्यावरणीय आदेश को रद्द कर दिया है। बेंच ने कहा “कानून की नजर में यह सारी प्रक्रिया दूषित तथा अमान्य है”। पर्यावरण एवं वन मंत्री जयंती नटराजन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर स्टील प्लांट की पर्यावरणीय मंजूरी को रिव्यू करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कमेटी के सदस्यों के बारे में “सब्जेक्ट एरिया एक्सपर्ट” जैसे सीधे व साफ निर्देश के बावजूद बड़ी हैरानी की बात है कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस कमेटी का अध्यक्ष कोई आई.ए.एस. अधिकारी ही बनेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि सरकार अपने इस गैरकानूनी कदम पर लीपापोती भी कर देगी। हम किसानों को उनकी जमीन के अधिकारों तथा अपने देश के संसाधनों की लूट के खिलाफ अपने वनों और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए दृढ़संकल्प हैं। हम हमेशा इस संयंत्र का विरोध करते रहेंगे।
– प्रशान्त पैकरा,
पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति