भूमि अधिकार आंदोलन : भूमि अधिग्रहण, विस्थापन तथा राज्य दमन के खिलाफ उत्तर प्रदेश में संघर्ष तेज करने का ऐलान
लखनऊ, 8 नवंबर 2016 : आज लखनऊ के गांधी भवन में भूमि अधिकार आंदोलन, उत्तर प्रदेश का भूमि अधिग्रहण, विस्थापन तथा राज्य दमन के विरोध में पहला सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के 26 जिलों के 37 से भी ज्यादा जनसंगठनों के लगभग 120 प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। सम्मलेन की अध्यक्षता रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब ने की। सम्मेलन में आए वक्ताओं ने प्रदेश में प्रचारित किए जा रहे विकास मॉडल का पर्दाफाश करते हुए जल-जंगल-जमीन और जनतंत्र की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ एक जुट होने की अपील की। सम्मेलन की शुरुआत में आयोजन समिति के गुफरान सिद्दिकी ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज देश में राज्य व्यवस्था जहां एक तरफ सांप्रदायिकता, धार्मिक विभेदीकरण जैसे मुद्दे पर चुप्पी लगाए हुए है वहीं दूसरी तरफ कॉर्पोरेट लूट को सुगम बनाने के लिए नई-नई नीतियां बना रही है। ऐसे समय में भूमि अधिकार आंदोलन, उत्तर प्रदेश के ऐसे सम्मेलन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
सम्मेलन में आए वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, भूमि पर अधिकार तथा राज्य दमन की जमीनी स्थिति पर बात रखते हुए कहा कि जमीन के लिए लड़ाई प्रदेश के हर कोने में चल रही है किंतु इन संघर्षों के छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटे होने की वजह से उसे एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई का स्वरूप नहीं दिया जा पा रहा है। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भूमि अधिकार आंदोलन को इन छितराए हुए जनसंगठनों को एकसाथ जोड़ते हुए इन संघर्षों को और ज्यादा मजबूती देने की जरूरत है। देश की तमाम सरकारें चाहे वह किसी भी पार्टी की हों सिर्फ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ठेकेदार के रूप में काम कर रही हैं और उन्हें सस्ती जमीन, सस्ती मजदूरी, कर्ज तथा मुनाफे की गारंटी देने में लगी हुई हैं। ऐसे में जमीन पर काम कर रहे जनसंगठनों का दायित्व और भी बढ़ जाता है कि वह जन हित के मुद्दों को उठाए और जनता के अधिकारों की लड़ाई को एक मुक्कमल अंजाम दे।
सम्मेलन ने प्रदेश में चल रहे निम्न जनसंघर्षों के समर्थन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किएः
- रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं पर हुए पुलिसिया दमन के विरोध में प्रस्ताव
- करछना के किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता का प्रस्ताव
- चंदौली में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ चल रहे धरने के समर्थन में प्रस्ताव
- अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारे के विरोध में प्रस्ताव
सम्मेलन में भूमि अधिकार आंदोलन के कामों को प्रदेश में आगे बढ़ाने के लिए एक 20 सदस्यीय समिति का गठन किया गया जो भविष्य में राज्य में चल रहे तमाम जनसंघर्षों के साथ समन्वय स्थापित कर उनके संघर्षों को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ नए संघर्षों को विकसित करने का काम करेगी।
सम्मेलन द्वारा पारित मांगेः
- भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 का पालन किया जाए। 5 साल से अधिक समय से अधिग्रहित भूमि पर यदि कोई कार्य नहीं किया गया है तो उसे किसानों को वापस किया जाए।
- निजी कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए 80 प्रतिशत किसानों की सहमति का प्रावधान लागू किया जाए।
- प्रत्येक भूमिहीन किसान को कम से कम 10 डिसमिल जमीन रिहाइशी के लिए तथा 5 एकड़ जमीन खेती के लिए दी जाए।
- करछना में उच्च न्यायालय के आदेश को तत्काल लागू करते हुए किसानों को जमीनें वापस की जाएं। आंदोलनकारियों पर लगे फर्जी मुकदमे तत्काल निरस्त करते हुए जेल में बंद किसानों को रिहा किया जाए और कुर्की का आदेश वापस लिया जाए।
- कन्हर में हुए राज्य दमन में दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। आदिवासियों को उनकी जमीनें वापस की जाए तथा मृतकों के परिवार वालों को मुआवजा दिया जाए।
- राज्य में चल रहे अवैध तथा जबरन अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए और भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 का पालन किया जाए।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करेः
भूमि अधिकार आंदोलन, उत्तर प्रदेश
राम कुमार (09412233057), गुफरान सिद्दिकी (09454937087), राघवेंद्र कुमार (09451132738), राजेंद्र मिश्र (09044418859), रवींद्र सिंह (0941536655)