परमाणु-ऊर्जा के खतरनाक दुःस्वप्न को हरियाणा के किसानों की चुनौती
इसके पहले, मुआवजा राशि खेतिहर जमीन के लिए बत्तीस लाख प्रति एकड़ और बंजर जमीन के लिए बीस लाख प्रति एकड़ थी। फतेहाबाद के किसानों ने इस राशि को ठुकराकर सरकार और सत्तावर्ग की इस सोच को करारा जवाब दिया है कि हरियाणा के किसान देश के अन्य हिस्सों के किसानों की तरह विस्थापन को मुद्दा नहीं बनाते और पैसे ले-देकर मान जाते हैं। जब बात सुरक्षा, सेहत और जिंदगी की हो तो देश का हर आम-आदमी मुनाफाखोर नीति-निर्माताओं के खिलाफ खडा हो सकता है। शायद यही वजह है कि 10 फरवरी को जब गोरखपुर परमाणु संयंत्र विरोधी मोर्चा ने आह्वान किया तो गोरखपुर गाँव के अलावा आस-पास के दस गांवों – चिंदड़, खाराखेड़ी, धाँगड़, काजलहेडी, मोचीवाली, चोबारा, जान्देली, धामन और नेहला के किसान हजारों की तादाद में फतेहाबाद शहर में इकट्ठा हुए और लालबत्ती चौक से मिनी सचिवालय तक रैली निकाली और विरोध-प्रदर्शन किया। इस रैली ने मिनी सचिवालय पर जाकर सभा का रूप ले लिया, जहां गोरखपुर के किसान पिछले अठारह महीने से धरने पर बैठे हैं। सभा को सभी गांवों के नेताओं और प्रमुखों ने संबोधित किया. दिल्ली से इस विरोध-प्रदर्शन में शिरकत के लिए पहुंचे वैज्ञानिक सौम्य दत्ता और सी.एन.डी.पी. के सुन्दरम ने भी संबोधित किया।