मानेसर स्थित अस्ति इलेक्ट्रोनिक्स कंपनी के मज़दूरों का संघर्ष तेज
हरियाणा के मानेसर में आज (9 दिसम्बर 2014) सुबह अस्ति इलेक्ट्रोनिक्स कंपनी के कारखाने के स्थायी मज़दूरों ने हड़ताल की घोषणा कर कंपनी परिसर के अंदर बैठने का फैसला लिया है| कंपनी के 310 ठेका मज़दूर पहले से ही उनके अन्यायपूर्ण निष्कासन के विरोध में कारखाने के गेट के बहार 1 नवंबर 2014 से धरने पर बैठे हुए हैं| कंपनी परिसर के अंदर और गेट पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं|
ओमाक्स ऑटो, सत्यम ऑटो, एन्दुरांस, सुजुकी मोटरसाईकिल, सुजुकी पावरट्रेन की यूनियनों के साथ मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के साथी अस्ति के मज़दूरों के समर्थन में कारखाने के गेट पर फ़ौरन पहुँच गए हैं और क्षेत्र के अन्य कंपनियों के यूनियन के साथी भी जल्द ही अपना समर्थन व्यक्त करने यहाँ पहुँच रहे हैं|
आज सुबह संदीप नामक एक ठेकेदार ने स्थायी मज़दूरों द्वारा गेट के बाहर बैठे ठेका मज़दूरों के समर्थन में कल काला चिन्ह पहनने और विगत 7 तारिख को खाने का बहिष्कार करने के मुद्दे पर छिड़ी बहस में अस्ति एम्प्लोयीज़ यूनियन के प्रेसिडेंट प्रताप को थप्पड़ मारा और उनके साथ बदतमीज़ी भरा व्यवहार किया| इसकी प्रतिक्रिया में सभी स्थायी मज़दूरों ने काम रोक कर कंपनी के अंदर ही बैठे रहने का निर्णय लिया है| संघर्ष सिर्फ पैसे या स्थायीकरण के लिए ही नहीं बल्कि सम्मानजनक कर्म-परिस्थिति के लिए भी है|
कल, गुडगाँव के लेबर इंस्पेक्टर इश्वर सिंह हूडा द्वारा आमरण अनशन पर बैठे ठेका मज़दूरों को उनका अनशन तोड़ने पर मजबूर करने की सभी कोशिशों के बावजूद अनशनकारी मज़दूरों ने आज अपने अनशन के 15वें दिन में प्रवेश किया है| अनशन पर बैठी मज़दूर, भावना को आज गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है| किन्तु प्रबंधन और प्रशासन अपने मज़दूर-विरोधी रवैय्ये में बने हुए हैं|
स्थायी और ठेका मज़दूरों का विभाजन प्रबंधन द्वारा मज़दूरों के संघर्ष को तोड़ने और हमें कमज़ोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| ऐसे में आंदोलन और एकजुट संघर्ष ही हमें इन चुनौतियों को पराजित करने की ताकत दे सकती है, जो हमने मारुति सुजुकी मानेसर के ही आन्दोलन में 2011 के दुसरे हड़ताल के दौरान किया और देखा|
स्थायी, ठेका और विभिन्न कारखानों के विभाजनों को तोड़ती मज़दूर एकता अमर रहे!
साभार: मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन, मानेसर