संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्य दमन/पुलिसिया दमन

छत्तीसगढ़ के पत्रकार महाआंदोलन के समर्थन में बयान

संतोष-सोमारू को रिहा करो! पत्रकार सुरक्षा कानून बनाओ! जन सुरक्षा अधिनियम खत्म करो! छत्तीसगढ़ के बस्तदर में इस साल जुलाई और सितंबर में जन सुरक्षा अधिनियम के तहत फर्जी मामलों में गिरफ्तार किए गए दो पत्रकारों सोमारू नाग और संतोष यादव की रिहाई व पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग को लेकर 21…
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छत्‍तीसगढ़ में कैद बेगुनाह पत्रकारों के समर्थन में उतरे प्रतिष्ठित लेखक,…

नई दिल्‍ली, 20 दिसंबर : छत्‍तीसगढ़ की जेल में फर्जी मुकदों में बंद दो पत्रकारों संतोष यदव व सोमारू नाग की…

मारुती क्लीन कोल एवं पॉवर पलांट में हुए हादसे की जााँच कर कम्पनी प्रबंधन पर एफआईआरदर्ज़ की जाये : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

छत्तीसगढ़ के कोरबा में प्लांट हादसे के बाद ग्रामीणों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश व्यापत है. प्रशासन ने घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है. उल्लेखनीय है कि 29 अक्टूबर को कोरबा के पाली थाना क्षेत्र के ग्राम बांधाखार स्थित मारुती क्लीन कोल एंड पावर प्लांट में हादसे से एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई…
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भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन विरोधी सम्मलेन में पारित प्रस्ताव

भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन विरोधी सम्मलेन 27 अक्टूबर 2015, वाराणसी, उत्तर प्रदेश आज वाराणसी में आयोजित देश के सात…

दिल्ली पहुंची करछना की आवाज़, जांच समिति ने किया किसानों पर दमन का विरोध

इलाहाबाद, १६ अक्टूबर : यहाँ की करछना तहसील के कचरी गाँव में बीते महीने की 9 तारीख को हुए पुलिसिया दमन की जांच करने…

उत्तराखंड : जौनसार बाबर में बर्बर व्यवस्था के खिलाफ़ यात्रा, 9 से 13 अक्टूबर 2015

उत्तराखंड के जौनसार बाबर में दलितों के भूमि अधिकार, बधुआ मजदूरी, दलितों-महिलाओं के मंदिर प्रवेश पर रोक, अंधविश्वास आदि विषयों के खिलाफ 5 दिवसीय यात्रा 9 से 13 अक्टूबर 2015 तक आयोजित की गई है । यात्रा करीब 35 गांवों से गुजरेगी। 15 अक्तूबर को बिसोई मंदिर में स्थानीय दलित-महिलाएं प्रवेश करेंगी। पेश है जबर सिंह की रिपोर्ट;…
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भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ प्रदर्शन : योगेंद्र यादव पुलिस हिरासत में !

नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 10 अगस्त 2015 को भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ किसानों के साथ प्रदर्शन कर रहे स्वराज…

भगाना के दलित; इंसाफ माँगा था, इस्लाम मिला !

लगभग 4 माह तक उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया ,आर्थिक नाकेबंदी हुयी ,तरह तरह की मानसिक प्रताड़नाएँ दी गयी | गाँव में सार्वजनिक नल से पानी भरना मना था ,शौच के लिए शामलात जमीन का उपयोग नहीं किया जा सकता था ,एक मात्र गैर दलित डॉक्टर ने उनका इलाज करना बंद कर दिया ,जानवरों का गोबर डालना अथवा मरे जानवरों को दफ़नाने के लिए गाँव की भूमि का उपयोग तक वे नहीं…
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