संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन

मजदूरों-किसानों की साझी पहल : सरकार ने घुटने टेके

भूमि अधिग्रहण का जबर्दस्त विरोध। किसानों, ग्रामीण मजदूरों को मुफ्त बिजली के वायदे से मुकरी सरकार। रोड, रेल जाम/गिरफ्तारियां/राज्य नियोजित दमन। किसान धीर सिंह की शहादत। 17 से ज्यादा किसान-मजदूर संगठनों ने बनाया साझा संघर्ष मोर्चा। भारत की खाद्यान्न जरूरतों की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पंजाब के मजदूर किसान एकबार फिर से अपनी जिंदगी…
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भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों का विशाल धरना, 490 दिन से जारी है धरना

नवलगढ़ की भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति की ओर से 7 दिसंबर 2011 को नवलगढ़ में तहसील मुख्यालय पर विशाल धरना…

नवलगढ़ के 16 गांवों में तीन सीमेंट इकाईयां लगाने संबंधी करार (एम.ओ.यू.) को रद्द करने की मांग के समर्थन में

5-6 नवंबर, 2011 को नवलगढ़ में शहीद भगतसिंह पुस्तकालय के सामने भूमि अधिग्रहण, विस्थापन व राजकीय दमन के खिलाफ दो दिवसीय किसान सम्मेलन हुआ जिसमें राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से किसान-मजदूर संगठनों एवं नागरिक अधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। सम्मेलन के दौरान सीमेंट फैक्ट्रियों के लिए नवलगढ़ के 18 गांवों में जबरन भूमि…
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करछना पावर प्लांट के विरोध में भूमि रक्षा हेतु संघर्ष: जोर आजमाइश जारी

पुलिस का फ्लैग मार्च: हवाई फायरिंग और मारपीट से भड़के किसान, अनशनकारियों को पीटा गया, पुलिस ने गांवों में घुसकर…

‘गंगा एक्सप्रैस वे’ एवं ‘भूमि अधिग्रहण’ के खिलाफ 30 अक्टूबर से 16 नवम्बर तक ‘किसान जन जागरण यात्रा’ सम्पन्न पूरा गंगा का मैदान ‘‘जान देंगे, ज़मीन नहीं देंगे’’ के नारे के समर्थन में

उ. प्र. के किसानों ने अपनी जीविका, कृषि, भूमि की रक्षा के लिए जारी अपने संघर्ष को तेज करते हुए ‘गंगा एक्सप्रेस वे’ परियोजना के खिलाफ राज्यव्यापी यात्रा का आयोजन किया। यह यात्रा 30 अक्टूबर को बलिया के नरही गांव से शुरू हुई और गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, फर्रूखाबाद, शाहजहांपुर, काशीराम नगर,…
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सजा ली चिता, अब ज़मीन लेंगे या जान देंगे

कटनी के विजय राघवगढ़ एवं बरही तहसीलों के दो गांवों डोकरिया और बुजबुजा के किसानों की दो फसली खेतिहर ज़मीनें वेलस्पन…

हिमाचल प्रदेश के जनसंघर्ष: न्याय के लिए बढ़ते कदम

हिमाचल प्रदेश का भू-भाग अपनी पहचान एवं इतिहास के लिए एक राज्य के रूप में प्रशासनिक गठन की तारीख का मोहताज नहीं है. प्रकृति के वरदानों से लबरेज यह क्षेत्र मनुष्य एवं प्रकृति के रिश्तों की एक मिसाल तब तक बना रहा जब तक प्राकृतिक संपदा का दोहन मुनाफे के लिए करने वालों का पदार्पण यहाँ नहीं हुआ था. हिमाचल प्रदेश के जनसंघर्ष: न्याय के लिए बढ़ते कदम…
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