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छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ : दैनिक भास्कर के लिए लाठ्ठी एवं बंदूक के साये में जनसुनवाई की नौटंकी
दैनिक भास्कर समूह के डीबी पावर के रेल लाइन पर 29 जून को 2016 को कुनकुनी, जिला-रायगढ़…
रमन सरकार ने की डीबी (दैनिक भास्कर ) पाॅवर लिमिटेड के लिए आदिवासियों को उजाड़ने की…
नितिन सिन्हा की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के खरसिया में डीबी पाॅवर लिमिटेड के रेल लाईन निर्माण के लिए 68…
जंगल नहीं कटेगा, गाँव नहीं हटेगा : घरघोड़ा के आदिवासियों का एलान
नहीँ हटेंगे, नहीँ झुकेंगे
जब तक दम है, तब तक लडेंगे
जंगल नहीं कटेगा, गाँव नहीं हटेगा
नारों के साथ एसडीएम घरघोड़ा का घेराव
23 जून 2016 को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के घरघोड़ा में वनाधिकार कानून की अनदेखी, कंपनी कानून के खिलाफ 170 बी के मामलो में प्रशासन की चुप्पी, रेल लाइन और कोल माइंस के लिये गैरकानूनी भूमि अधिग्रहण के…
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विकास यज्ञ में कोरबा के आदिवासियों की कब तक बलि देती रहेगी सरकार ?
राष्ट्र के निर्माण के लिए कोयला खनन एवं विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में कोरबा का विशेष योगदान है । इसके प्रति इस…
फर्जी मुठभेड़, सरेंडर, गिरफ्तारियां बयां करती हैं बस्तर की असली तस्वीर : एआईपीएफ…
रायपुर, 12 जून। अखिल भारतीय लोक मंच का 8 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल डॉ. सुनीलम, कविता कृष्णन, आराधना भार्गव, विनोद…
मोदी का विकास मॉडल : देश के पर्यावरण और आदिवासियों के लिए विनाश का मॉडल हैं
हसदेव अरण्य बचाओ सघर्ष समिति और छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 5 जून 2016 को छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के मदनपुर गाँव में एक दिवसीय ग्राम सभाओं की भुमिकाओं और चुनोतियों पर सम्मलेन का आयोजन. इस सम्मलेन में हसदेव अरण्य क्षेत्र की ग्राम सभाओ और पंचायत के प्रतिनिधियों सहित 1000 से अधिक…
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रमन सरकार का एक और कारनामा : बिना पुनर्वास दिए 702 दलित परिवारों को किया बेघर
छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर के हास्पिटल सेक्टर 9 में अभी तक पचास साल पुराने दो ब्लाक धराशायी ( बुलडोजर से तोडे…
रमन सरकार के क्रूर दमन का शिकार हुर्रे : गर्भवती आदिवासी महिला को बंदूक के बट से…
तामेश्वर सिन्हा
छत्तीसगढ़; यहाँ जान से जाना आम बात है, आदिवासियों की जिंदगी की कोई अहिमियत नही समझती सरकार और…
अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री की बलि चढ़ते आदिवासी
1992 में अल्ट्राट्रेक सीमेंट फैक्ट्री लगने के बाद से ही यहां पर लगातार खनन का कार्य चल रहा है जिससे स्थानीय लोगों के हाथ से जल, जंगल और ज़मीन भी निकल गई । इस क्षेत्र में 80 फीसदी चूने की खदानें हैं। सीमेंट बनाने वाली फ़ैक्टरी ने चट्टानों को खोदकर ज़मीन को ऐसा बर्बाद किया है कि बाँध में पानी कम पड़ गया और खेत और पशुओं को पानी पिलाना मुश्किल…
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