संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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हिमाचल प्रदेश

हरिपुर नाला लघु जल विद्युत् परियोजना में हुई अनियमितताओं की जॉच होगी

हरिपुर नाला लघु जल विद्युत् परियोजना 1.5 मेगावॉट पर हिमाचल हाई कोर्ट की राजीव शर्मा की खण्ड पीठ ने सात मार्च 2012 के अपने फैसले में इस परियोजना की स्वीकृतियों व अनापत्ति प्रमाण पत्रों की फिर से जाँच के आदेश दिए हैं। इंटर कांटिनेंटल प्राईवेट लिमिटिड -हैदराबाद द्वारा बनाई जा रही इस परियोजना का स्थानीय तीन…
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जे.पी. थर्मल प्लांट बघेरी पर 100 करोड़ का जुर्माना

हिमाचल हाईकोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स के बघेरी थर्मल संयंत्र पर एक अभूतपूर्व निर्णय दे कर यह आभास कराया है कि प्रदेश…

भाखड़ा बांध विस्थापित आर-पार की जंग को तैयार

भाखड़ा बांध विस्थापितों की सभी कमेटीओं की बैठाकें 9 जून को मलराओं तथा 10 जून कोसरियां व वाला गाँव में संपन हुई. इन बैठकों में सभी भाखड़ा बांध विस्थापित सुधार समिति की 14 इकाईओं के प्रतिनिधिओं ने भाग लिया. बैठकों में भाखड़ा विस्थापितों की मांगों को मनाने के लिय आन्दोलन को तेज करने का आवहन किया गया. बैठकों में हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान…
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हिमाचल प्रदेश के जनसंघर्ष: न्याय के लिए बढ़ते कदम

हिमाचल प्रदेश का भू-भाग अपनी पहचान एवं इतिहास के लिए एक राज्य के रूप में प्रशासनिक गठन की तारीख का मोहताज नहीं…

12 गांवों की पंचायतों के किसानों ने जल, जंगल, जमीन तथा आजीविका बचाने के लिए कसी…

हिमाचल प्रदेश में एक तरफ जहां बड़े बांध, माइक्रो हाइड्रो पॉवर प्लांट के खिलाफ स्थानीय लोग संघर्षरत हैं तथा…

तीखे विरोध के चलते प्रशासन को स्थगित करनी पड़ी जनसुनवाई

सतलुज जल विद्युत निगम के महत्वाकांक्षी लुहरी प्रोजेक्ट को स्थानीय लोगों के घनघोर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। प्रस्तावित लुहरी हाइड्रो-इलेक्ट्रिकल संयंत्र 775 मेगावाट का है और इस यंत्र में विश्व बैंक का पैसा भी लगा है। हिमाचल प्रदेश राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रस्तावित संयंत्र से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए 5, 6, 7 मई, 2011 को…
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हिमाचल हाईकोर्ट की ग्रीन बैंच ने सुंदरनगर सीमेंट प्लांट रद्द किया

दिनांक 13 दिसंबर 2010 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के स्पेशल हरित बैंच ने सुंदरनगर सीमेंट प्लांट जिला मंडी की पर्यावरण…

पर्यावरण, नदी, पहाड़ बचाने का संकल्प : विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को रैली एवं जनसभा का आयोजन

जब पहाड़ टूटता है-तब सिर्फ मिट्टी, पत्थर-कंकड़, बालू, पेड़-पौधे ही नहीं गिरते हैं वरन नष्ट होता है वहां का समाज, उस समाज की भाषा-संस्कृति, पहचान, उस इलाके का इतिहास, पर्यावरण, नदी-झरने। पहाड़ों के विलीन होते ही, उस इलाके की सामाजिक एकता-सामूहिकता के साथ प्रकृतिकमूलक सभ्यता और संस्कृति भी विलीन हो जाती है। और यहीं से शुरू होता है-प्राकृतिक आपदाओं का…
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