संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्यवार रिपोर्टें

जनसंघर्षों की रणनीति बैठक : भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ एवं भूमि अधिकार के लिए

भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ और भूमि अधिकार के लिए आन्दोलनों की रणनीति बैठक 10:30 से 3:30 बजे राजनैतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक 4 से 6 बजे 2 अप्रैल, डिप्टी स्पीकर हॉल, कंस्टीट्यूशन क्लब, दिल्ली साथियों, वर्ष 2013 में बने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करके मोदी की अगुवाई वाली वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा…
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भूमि अधिग्रहण बिल 2015 : मोदी – मुख्यमंत्री के पुतलों पर तीरों की बौछार !

झारखण्ड के दुमका क्षेत्र के आदिवासियों ने भूमि अधिग्रहण बिल 2015 के विरोध में प्रधानमंत्री मोदी, प्रदेश के…

छत्तीसगढ़ : भूअर्जन अध्यादेश और कॉरपोरेट राज के खिलाफ रैली !

गुजरी 15 मार्च 2015 को छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के बैनर तले जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लोक पर भूअधिग्रहण अध्यादेश…

जिंदल, जंगल और जनाक्रोश : 10 सालों से पोटका के आदिवासियों का बहादुराना संघर्ष जारी

झारखण्ड के पोटका के आसोनबनी में एक स्टील संयंत्र स्थापित करने के लिए जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड व झारखण्ड सरकार के बीच सहमति पत्र (एमओयू) पर 5 जुलाई, 2005 को दस्तखत किए गए थे। कंपनी का दावा है कि अब तक उसने 22,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस ग्रीनफील्ड परियोजना के लिए आवश्यक 1417 एकड़ ज़मीन में से 285 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया है। कंपनी की…
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भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2015 : भूमि संशोधनों में कितना है दम !

नौ संशोधन और दो उपनियमों के साथ भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल-2015 लोकसभा में मंजूर हो गया। प्रत्येक संशोधन व उपनियम…

परमाणु ‘स्वच्छ’ ऊर्जा से गंदा होता पर्यावरण

आज से करीब 50 वर्ष पूर्व आस्ट्रेलिया में परमाणु हथियारों के लिए हुए परीक्षणों की वजह से वहां के देशज निवासी एवं उनकी पैतृक भूमि, वन, वनस्पति, पानी, हवा एवं वातावरण सभी कुछ प्रदूषित हो गया है। पांच दशकों के बाद भी स्थितियां काबू में नहीं आ पा रही हैं। हमारे राजनीतिक परमाणु ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा बता रहे हैं। जबकि दूसरी ओर वैज्ञानिक तथ्य बता…
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जमीन की लड़ाई पहुंची दिल्ली : आर-पार का संघर्ष करने का मन बना चुके हैं देश के…

पुर्जा-पुर्जा कट मरे, कबहूं न छाड़े खेत! अभिषेक श्रीवास्‍तव करीब तीन हफ्ते पहले की बात है जब…

कारपोरेट दलाल मोदी सरकार के ‘अध्यादेशराज’ के खिलाफ दिल्ली में गूंजी किसानों की आवाज़

24 फ़रवरी 2015 को देश के कोने-कोने से जबरिया भू-अधिग्रहण के खिलाफ 350 से भी ज्यादा जनांदोलनों के मोर्चे पर संघर्ष करते किसानों और समाजकर्मियों के कारवां ने राजधानी दिल्ली में मजबूत दस्तक दी. उड़ीसा के पोस्को से लेकर हरियाणा तक के किसानों का हुजूम जब दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचा तो राजधानी में सियासी सरगर्मियां तेज हो गईं और मोदी सरकार अपना बचाव…
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