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राज्यवार रिपोर्टें
झारखण्ड : आदिवासियों का देशव्यापी उलगुलान का ऐलान !
झारखण्ड के खूंटी जिले में 8 जनवरी 2015 को आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली पर भारी बारिश और तूफान के बीच भारी संख्या में आदिवासियों ने पांचवी अनुसूचि, सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हुए और सरकार को चेताया कि आदिवासियों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रैली में ‘दलित आदिवासी दुनिया’ के…
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मुलताई किसान आंदोलन ने बदला मेरे जीवन का रुख : डॉ सुनीलम
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के सामने 12 जनवरी 1998 को लगातार फसले खराब होने के कारण मुआवजा मॉंग…
पी. साइनाथ, परी और गांव-गिरांव की बातें !
पीपॅल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (परी) आम लोगों की रोज़मर्रा की जि़ंदगी का एक जीवन्त रोजनामचा है और इसे रिकॉर्ड करने का एक लेखागार भी है। यह काम कई मामलों में इस धरती के सबसे जटिल और विविध हिस्से में किया जाना है. ग्रामीण भारत में, जहां 83.3 करोड़ इंसान बसते हैं, 780 जि़ंदा भाषाएं हैं, बहुविध संस्कृतियां हैं और अद्वितीय किस्म की पेशागत…
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बिजली का बिल न भरने पर पंचायत चुनाव लड़ने से रोका जाना असंवैधानिक – डॉ. सुनीलम
7 बिरुल, 10 जौलखेडा, 11 परमंडल में होगी “एक शाम शहीदों के नाम” सांस्कृतिक कार्यक्रम
मध्य प्रदेश के मुलताई में…
भू-अधिग्रहण अध्यादेश को रद्द कराने के लिए देश भर में होगा किसान आंदोलन : डॉ सुनीलम
भूमि अधिग्रहण का अध्यादेश भाजपा का किसानों के प्रति रुख को साफ़ करता है !
अध्यादेश की प्रति मिलते ही यह बिलकुल…
सुनील की पहली पुण्यतिथि : केसला में 20 – 21 अप्रैल 2015 को देशव्यापी जनांदोलनों की बैठक
प्रिय साथियों,
साथी सुनील की पहली पुण्यतिथि पर केसला में 20 एवं 21 अप्रेल को दो दिवसीय कार्क्रम करने का तय किया है। सुनील भाई की दिली इच्छा थी कि जनसंगठनों से जुड़े देशभर के साथी लोकसभा चुनाव के बाद बैठे और अपने सारे भेदभाव और व्यक्तित्व के झगड़े भूलकर एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करे जो स्थानीय मुद्दों और से बहार…
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मानवाधिकारों के लिए मेहनतकश महिलाओं का धरना
राजस्थान के जयपुर शहर में गुजरी 10 दिसम्बर को घरेलू कामगार महिलाओं ने दूसरों के घरों में ‘सहायक’ के तौर पर काम करने…
महिला नसबंदी : औरतों के शरीर पर हमला
भारत में परिवार नियोजन की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं पर थोप दी गई है। नसबंदी कराने वालों में से 98 प्रतिशत महिलाएं ही…
प्राकृतिक संसाधनों की कारपोरेट लूट के खिलाफ़ : वन-जन अधिकार रैली
गुजरी 15 दिसम्बर को 'वनाधिकार कानून 2006' को पारित हुए 8 वर्ष हो गए लेकिन इस कानून को अभी तक देश में प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है। केन्द्र में मोदी सरकार ने सत्तासीन होते ही देश की प्राकृतिक संसाधनों को कारपोरेट घरानों को औने पौने भावों में बेचने का ऐलान कर दिया है । इस सरकार-कम्पनी गठजोड़ के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करने व…
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