संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्यवार रिपोर्टें

चुटका परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ प्रतिरोध की जीत

चुटका परमाणु संयंत्र के खिलाफ चुटका व आसपास के गांवों की आदिवासी जनता द्वारा चलाए जा रहे जुझारू संघर्ष और तमाम जनपक्षधर संगठनों के सक्रीय समर्थन व प्रयासों से उभरे जबरदस्त जन-उभार के आगे सरकार ने घुटने टेकते हुए 24 मई 2013 को तय की गई जन-सुनवाई को अनिश्चित काल के लिए रद्द करना पड़ा। ध्यान दें कि चुटका परमाणु संघर्ष समीति के नेतृत्व में इस…
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उत्तराखंड को बचाने की जद्दोजहद

उत्तराखंड को भारत का ''वाटर टैंक'' कहा जाता है और अब वहां 500 से अधिक बांधों के निर्माण की योजना बन रही है। वैसे कुछ पर काम शुरु भी हो गया है। भरपूर पानी वाले क्षेत्र में लोग अब पीने के पानी को भी तरस रहे हैं। ऐसी आत्मघाती योजनाओं को उद्घाटित करता सुरेष भाई का महत्वपूर्ण आलेख; उत्तराखण्ड राज्य समेत सभी हिमालयी राज्यों में सुरंग आधारित…
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चुटका परमाणु परियोजना के विरोध में धरना

चुटका परमाणु परियोजना और भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के खिलाफ अनेक जन-संगठनों, राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों ने…

खतरों के बावजूद सरकार हम पर परमाणु संयत्र थोप रही है -चुटका परमाणु संघर्ष समीति

विकास के नाम पर बने बांध से विस्थापन का दंश झेल चुके चुटका, टाटीघाट, कुण्डा और अन्य गांवो के बहादूर और विस्थापन -…

चुटका परमाणु पॉवर प्लांट पर्यावरणीय प्रभाव पर जन-सुनवाई रोकने में राज्यपाल पहल करें: डॉ. सुनीलम

जबलपुर। चुटका परमाणु विद्युत परियोजना मध्यप्रदेश के पांचवीं अनुसूचि वाले क्षेत्र में प्रस्तावित की जा रही है। संविधान में क्षेत्र की ग्राम सभा की सहमति के बाद ही भूमि का अधिगृहण करने का प्रावधान है। प्रभावित होने वाले ग्रामों की ग्राम सभा ने परियोजना का विरोध किया है। ऐसी दशा में परमाणु संयंत्र के लिए तैयार पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन रिपोर्ट पर 24 मई…
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देश भर में चल रहे जल, जंगल, ज़मीन, अस्मिता और अधिकारों के संघर्षों पर सरकार लगाम…

भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा इंडियन सोशल ऐक्शन फोरम (इंसाफ) का विदेशी अनुदान पंजीकरण (एफसीआरए) अगले 180…

कुडनकुलम: सर्वोच्च न्यायालय में जनता की अवमानना

अपने हक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे देश के लोगों का इस तरह के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाना निर्थक है। और यह कहा जा सकता है कि अदालत खुद भी इसी सिस्टम का हिस्स है जो आकांशओं और वंचित जन समुदाय और ‘ व्यापक जनहित’ की मुख्य अवधारणा के बीच बढ़ती खाई को पाटने में पूरी तरह नाकाम रही है। इस प्रकार के मामलों में न्यायालय के समक्ष याचना…
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