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विस्थापन विरोधी आंदोलन
छत्तीसगढ़ को लूटने का राज्योत्सव
अदम के शेरअदम का मतलब है वंचित। अदम गोंडवी सचमुच पूरी उम्र अभाव और ग़रीबी में जिये- अदम थे, अदम ही रहे। वे कुल पांचवां दर्ज़ा पास थे लेकिन कहना होगा कि ज़िंदगी और समाज के सबसे बड़े विश्वविद्यालय से उन्होंने शायरी में पीएचडी हासिल की थी और इसीलिए बग़ावत की शायरी के आला फ़नकार बन गये। पिछले साल दिसंबर में उन्होंने गंभीर बीमारी से जूझते हुए अपनी आख़िरी सांस…
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भाड़ में जायें किसान और किसानी
छत्तीसगढ़ का निर्माण-गीत 2 अक्तूबर 1988 को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने रायपुर में विशाल रैली का आयोजन किया था। रैली…
‘ख़ुशहाल छत्तीसगढ़’ की हकीकत: 12 वें राज्योत्सव पर संघर्ष संवाद की पहल
1 नवंबर 2012 से नया रायपुर उर्फ़ न्यू रायपुर में एक हफ़्ते का मेला लगेगा और जो इतना भव्य और भड़कीला होगा कि आम…
जनता की ताक़त के आगे झुकी सरकार
जन सत्याग्रह की जीत हुई। गांधी जयंती के अगले दिन, गुज़री 3 अक्टूबर को ग्वालियर से इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरूआत हुई थी। यात्रा के 26वें दिन, 28 अक्टूबर को एक लाख लोगों के साथ दिल्ली पहुंचने का कार्यक्रम था। नवें दिन, 11 अक्टूबर तक यात्रा में इसकी आधी संख्या जुड़ चुकी थी। इस बढ़ती जन शक्ति के सामने केंद्र सरकार को घुटने टेकने पड़े। यात्रा के…
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खतरनाक विकिरण के साये में उत्तराखंड
कूडनकुलम और जैतापुर में परमाणु-विरोधी आंदोलन को एक तरफ सरकार अंधविश्वास से प्रेरित, अवैज्ञानिक और विदेशी हाथ से…
ख़ूनी चेहरे के रंग-रोगन की क़वायद
बसगुड़ा नर संहार का सच सामने आने के बाद सरकार ने अपनी छीछालेदर से बचने के लिए नया पैंतरा चला कि माओवादी आदिवासियों…
दो बार विस्थापित चिल्कादांड के संघर्ष की दास्तान
चिल्कादांड उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के शक्तिनगर थाणे में पड़ने वाले उन 5 गावों का एक सामूहिक नाम है, जिन्हें पहली बार 1960 में रिहंद डैम बनाने के लिए और फिर 1979 में एन टी पी सी के शक्तिनगर परियोजना के कारण विस्थापित होना पडा है. दो बार विस्थापन का दर्द झेल चुके लगभग 30 हज़ार की यह आबादी 1984 से ही एन सी एल कोयला खनन के विस्तार…
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जिंदल : नहीं थमा है अंगुल के विस्थापितों पर दमन
25 जनवरी 2012 को अंगुल में प्रभावित तथा विस्थापितों के ऊपर जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड द्वारा हिंसात्मक…
क्या न्यायपालिका आदिवासी विरोधी है?
15 जुलाई, 2012 को रिमझिम बारिस के बीच, सरकार के फरमान पर अपनी जमीन बचाने के लिए नगड़ी गांव के रैयत रांची के कांके…
गांव बचाओ आंदोलन : धरना एवं भूख हड़ताल
उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला जहां एक तरफ गंगा एक्सप्रेस वे विरोधी आंदोलन का केन्द्र बना हुआ है वहीं गंगा की कटान से परेशान प्रभावित गांवों के निवासी अपनी जमीन तथा बस्तियों की रक्षा के लिए न केवल संघर्ष के माध्यम से सरकारी उदासीनता समाप्त कराने का प्रयास कर रहे है बल्कि कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, एकता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टियों के…
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