संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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विस्थापन विरोधी आंदोलन

दमन, साजिशों से जूझते कलिंगनगर के आंदोलनकारी आदिवासी

राज्य के दमन (पुलिस ज़ुल्म) एवं टाटा कंपनी के गुंडों (स्थानीय बीजू जनता दल के नेता एवं कार्यकर्ता) के हमले का कंपनी विरोधियों द्वारा सामना। राज्य एवं कंपनी के आतंक के कारण कंपनी विरोधी आंदोलनकारी रात में ही निकलते हैं लोगों से संपर्क करने। आतंक एवं अत्याचार का यह आलम की कंपनी विरोधी आंदोलनकारी अस्पताल या डाक्टर के पास इलाज कराने जाते…
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बलात कब्जायी जमीनें, अपनाया साम-दाम-दण्ड-भेद का आजमाया तरीका! सरकार एवं कम्पनियों का विकास को तेज करने का नया अंदाज़ !!

छत्तीसगढ़ राज्य में 69000 एकड़ जमीन (जो कृषि भूमि है) को गैर कृषि कार्यों हेतु स्थानांतरित कर दिया गया। सड़क के किनारे की लगभग सारी की सारी जमीनों का मालिकाना अब किसानों का नहीं रह गया है। आज किसानों की भूमि हड़पने की तिकड़म अपने शबाब पर है। आज छत्तीसगढ़ में भूमि हड़पने की साजिशें सबसे बड़ी चुनौती है। रायगढ़ जनपद की रायगढ़, तमनार एवं घरघोड़ा…
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कार्यवाहियाँ पूर्व निर्धारित फिर भी जारी है जन सुनवाइयों की नौटंकी

पर्यावरण विभाग की जांच संदेह के घेरे में। कोल वाशरी की बोलती तस्वीरें। मामला ‘‘जिंदल कोल वाशरी’’ जन सुनवाई का…

नेशनल हिल्स पार्क : 37 गांवों के वाशिंदों को हटाकर जानवरों को बसाने का फरमान

राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले के ब्लॉक भैसरोडगढ में राजस्थान सरकार ने तीन ग्राम पंचायतों के 37 गांवों के वाशिंदों को हटाकर जानवरों को बसाने के उद्देश्य से नेशनल हिल्स पार्क बनाने का फैसला किया है। इन गरीब आदिवासियों (भील) को विस्थापित करने का यह दूसरा षड्यंत्र हैं। पहले भारत सरकार द्वारा 1965 में राणाप्रताप सागर बांध बनाया गया जिसके चलते जो…
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मित्तल को अब चाहिए बोकारो में जमीन विरोध में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने…

झारखण्ड सरकार ने अगस्त 2005 में मित्तल कंपनी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये थे। इस एमओयू के आधार पर कंपनी 12,000…

थर्मल पॉवर प्लांट का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने चलाई गोली : 2 की मौत सैकड़ों…

आन्ध्र प्रदेश के सिरीकाकुलम जिले के सोमपेटा मण्डल के 30 गांवों को उजाड़कर बनाये जाने वाले थर्मल पावर प्लांट के विरोध…

दामोदर घाटी निगम के विस्थापितों का धरना, अनशन

दामोदर घटी के विस्थापित अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की मनसा से दिल्ली आये थे, लेकिन मेधा पाटकर जी और स्वामी अग्निवेश के कहने पर उन्होंने पहले तीन दिन सरकार से वार्ता और धरना कबूल किया। जल संसाधन, आदिवासी मंत्रालय के मंत्रियों एवं उर्जा मंत्रालय के उच्च अधिकारीयों से बात करने और वायदों के सिवा कुछ न मिलने के कारण 20 अक्टूबर को दोपहर बारह बजे से 11…
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