मध्य प्रदेश : आदिवासी मजदूरों के साथ हो रही बेगारी, हिंसा एवं यौन शोषण के विरोध में जागृत आदिवासी दलित संगठन का प्रदर्शन
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में जागृत आदिवासी दलित संगठन द्वारा 24 फरवरी 2022 को आदिवासियों से बेगारी करवाने एवं मजदूरों के साथ हो रहे हिंसा एवं यौन शोषण के विरोध में रैली निकाल कर पाटी के जनपद कार्यालय का घेराव किया गया। हाल ही में 250 से अधिक आदिवासी, जो की महाराष्ट्र और कर्नाटक बंधुआ मजदूर बनाए गए थे, जागृत आदिवासी दलित संगठन के प्रयासों से वापस बड़वानी लौट कर आए है । तीन से चार महीने दिन-रात लगातार काम करने के बावजूद मजदूरी न मिलने और काम के दौरान महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों को लेकर मजदूरों द्वारा प्रशासन से कार्यवाही की मांग की जा चुकी है, जिन पर कार्यवाही बाकी है। मध्य प्रदेश शासन-प्रशासन की निष्क्रियता देखते हुए, आदिवासियों द्वारा रैली निकाल कर जनपद कार्यालय, पाटी का घेराव किया गया । एकत्रित आदिवासियों द्वारा ज्ञापन के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार और बड़वानी प्रशासन से कार्यवाही करने की मांग उठाई, एवं कोई कार्यवाही न होने पर तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई।
आदिवासियों के अनुसार, फसलों का सही भाव न मिलने के कारण, आदिवासी किसान मजदूर कर्ज में डूबते जा रहे है। पलायन रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रोजगार गारंटी के पेमेंट महीनों तक नहीं दिए जा रहे है। निजीकरण के चलते, शिक्षा और रोजगार के अवसर खत्म किए जा रहे है, जिससे युवा पीढ़ी के पास पलायन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बच रहा । इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए, ठेकेदारों एवं फ़ैक्टरी मालिकों द्वारा आदिवासियों को बंधुआ मजदूरी में फंसाया जा रहा है । संगठन कार्यकर्ताओं द्वारा मध्य प्रदेश सरकार से तीखे सवाल किए गए – आज जब आदिवासी शिक्षा और रोजगार की मांग कर रहे, उन्हें मिल रही है ठेकेदारों और सेठों की गुलामी और बेगारी – क्या मध्य प्रदेश के आदिवासियों के लिए यही विकास है? आदिवासियों की सरकार कहाँ है ?
बिना लाइसेन्स के ठेकेदार, गाँव में आकार, 30 से 40 हज़ार कर्ज देकर, काम के बारे में झूठे आश्वासन देते हुए आदिवासियों की तस्करी कर, गुजरात, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में उनसे बेगारी करवाते है । काम के दौरान न मजदूरों को कोई भी मजदूरी दी जाती है, न उनके द्वारा किए गए काम का कोई हिसाब उन्हें मिलता है।
आक्रोशित आदिवासियों द्वारा बताया गया कि किस प्रकार, कर्नाटक के बेलगवी जिले में काम का हिसाब मांगने पर, ठेकेदारों और फ़ैक्टरी वालों द्वारा तीन मजदूरों को 6 दिन तक निरानी फ़ैक्टरी में बंधक बना लिया गया था । वहीं, सतारा में गए बड़वानी के शिवनी गाँव के आदिवासियों को काम न करने पर जान से मारने की धमकी दी जाती – 6 दिन पहले बच्चे को जन्म दी महिलाओं से भी काम करवाया जाता रहा। पुणे, कोल्हापुर और बागलकोट में फंसे मजदूरों से उनके मोबाइल फोन छीन लिए गए, उनके हाथ में से पैसे छीने लिए गए। जो महिलाएं दिन-रात काम कर परिवार को भी संभालती है, उनके साथ ठेकदारों और सेठों द्वारा यौन शोषण और बलात्कार के भी रोंगटे खड़े कर देने वाले मामले सामने आए – सतारा से लौटी 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का ठेकेदारों द्वारा कई बार सामूहिक बलात्कार किया गया, जिसके बारे में बड़वानी पहुँच कर ही पूरी सच्चाई मालूम हो पाई थी।
आंदोलनकारियों ने सरकार को आड़े हाथ लिया, और बताया कि जब तक प्रशासन द्वारा बिना लाइसेंस के आदिवासियों की तस्करी कर रहे ठेकेदारों पर रोक लगाई नहीं जाती, और कानून अनुसार, शासन-प्रशासन द्वारा जिले से पलायन कर रहे मजदूरों पंजीयन नहीं किया जाता, आदिवासियों का शोषण जारी रहेगा। आदिवासियों द्वारा सरकार से हर पंचायत में से मजदूरों को ले जाने वाले ठेकेदारों के पास लाइसेन्स होना, मजदूरों का विधिवत पंजीयन किया जाना, तथा अंतरराजीय प्रवासी कामगार अधिनियम के अनुसार, मजदूरों को पासबूक दिए जाने की भी मांग उठाई गई। मध्य प्रदेश शासन एवं बड़वानी प्रशासन से एक हफ्ते के अंदर, संगठन द्वारा कार्यवाही की मांग की गई है, और साथ ही, बंधुआ मजदूरी में फंसे हुए मजदूरों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी स्थापित करने की मांग की गई है। संगठन की मांगे पूरी न होने पर बड़वानी में आदिवासी समाज और तीव्र आंदोलन करने मजबूर हो जाएगा।
-जागृत आदिवासी दलित संगठन द्वारा जारी प्रेसनोट