झारखंड: किसान किसी कीमत पर अदाणी को नहीं देंगे अपनी ज़मीन
हजारीबाग के बड़कागांव ब्लॉक के पांच गांवों गोंदुलपारा, गाली, बलादार, हाहे और फूलंगा के ग्रामीणों की बहुफसली कृषि भूमि सहित जंगल और सामुदायिक भूमि को गलत तरीके से मार्च 2021 में केन्द्र की मोदी सरकार ने अदाणी कंपनी एंटरप्राइज़ लि. को हस्तांतरित किया था। इस क्षेत्र के ग्रामीण-किसान लंबे समय से अपने जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। किसान किसी भी कीमत में अपनी बहुफसली जमीन अदाणी को कोयला खनन के लिए देना नहीं चाहते हैं।
मोदी सरकार ने नीलामी प्रक्रिया द्वारा जमीन हस्तांतरित किया है। इस नीलामी को खारिज करने और अपनी जमीन अदाणी को नहीं देने का संघर्ष जमीन मालिक और स्थानीय किसानों ने 12 अप्रैल 2023 से गोंदुलपारा कोयला खदान के पास धरना शुरू किया था जो 21 जनवरी 2025 को 641 दिन पूरे हो गये। इस विरोध के चलते अदाणी समर्थकों द्वारा आंदोलनरत किसानों पर अब तक 21 आपराधिक केस दर्ज करवाए गये हैं जिनमें 331 महिला-पुरूषों को आरोपी बनाया गया है।
किसान ठान लिये है कि किसी भी कीमत पर वे अपना जंगल-जमीन अदाणी को नहीं देंगे। ये पांचों गांव उन 214 कोयला खदानों के बीच हैं और माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने एतिहासिक फैसला में इन खदानों को खारिज कर दिया था। ये कोयला खदानें पहले दमोदर वैली निगम के अतंर्गत थीं। लेकिन अप्रैल 2021 में इन कोयला खदानों को नीलामी के जरिये मोदी सरकार ने अदाणी एंटरप्राइज़ को सौंप दिया।
अदाणी की योजना 1,268.08 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की है। इसमें 551.59 एकड बहुफसली कृषि भूमि है। 542.75 एकड़ जमीन वन भूमि है। 173.74 एकड़ जमीन गैर मजरूआ आम और सामुदायिक भूमि है।अदाणी हजारीबाग के बड़कागांव के गोंदुलपारा में पांव रख कर पूरे झारखंड में अपना अधिपत्य स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
सर्वविदित है कि धान की फसल के लिए हजारीबाग का यह क्षेत्र राज्य में पहला स्थान रखता है। यही नहीं यह क्षेत्र उपजाऊ एवं बहुफसली होने के साथ पर्यावरण का धनी इलाका है। यहां वनजीवियों का सुरक्षित कॉरिडोर भी है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक झारखंड इस क्षेत्र के बारे लिखते हैं -प्रस्तावित वनभूमि एवं उसके आस-पास के क्षेत्र में विभिन्न वन्यप्राणियों का प्राकृतिक पर्यावास है। साथ ही इस क्षेत्र में जंगली हाथियों का भी आना-जाना होता है।
कोयला खनन परियोजना हेतु 219.80 हेक्टेयर वन भूमि के अपयोजन याने क्षतिपूति के लिए अदाणी एंटरप्राइज़ ने झारखंड सरकार के वन पर्यावरण एवं जनवायु परिवर्तन विभाग एवं वन प्रमंडल के पदाधिकारियों से 220.00 हेक्टेयर भूमि की मांग की थी। इन विभागों ने राज्य के 6 जिलों से ज़मीन देने की सहमति देते हुए जमीन की रजिस्ट्री भी अदाणी के नाम पर कर दिया है।
सवाल है कि सीएनटी एक्ट, पांचवीं अनुसूचि और पेसा इलाके के गांवों की जमीन अदाणी इंटरप्राइजेज को ज़मीनें कैसेे हस्तांतरित किया गया। गांव की ग्राम सभाओं ने अदाणी की कंपनी को ज़मीन देने की सहमति कैसे दे दी? यह जांच का विषय है।
जिन गांवों की जमीन देने की बात वन विभाग कर रहा है इस विषय पर ग्राम सभा के साथ बैठक कर सहमति ली गयी है या नहीं? क्या सम्बंधित गांवों के ग्राम सभाओं और जमीन मालिकों को अंधेरे में रखकर वन विभाग ने जमीन अदाणी को दे दिया।
यह सभी जानते हैं कि जमीन अधिग्रहण के मामले में हमेशा जमीन मालिक और स्थानीय ग्राम सभा को धोखा दिया जाता है।
गोंदुलपारा कोयला खनन परियोजना हेतु क्षतिपूर्ती वन भूमि के लिए 219.80 हेक्टेयर जमीन की मांग पर झारखंड के छह जिलों के विभिन्न गांवों की 220.04 हेक्टेयर जमीन अबुआ सरकार ने अदाणी के लिए बंदोबस्त कर दी है जो इस प्रकार है:-
खूंटी जिला के तंबा गांव में 20.18 हेक्टेयर, सुंदारी गांव में 10.08 हेक्टेयर। खूंटी जिला के ही पुरनागाडी/रंगामाटी में 17.42 हेक्टेयर और तंबा में 18.02 हेक्टेयर जमीन दी गयी है। पूर्वी सिंहभूम के 4 गांवों की जमीन दी गयी है। जिसमें कुलवादिया गांव में -2.95 हेक्टेयर, खारबंदा में 2.86 हेक्टेयर, रघुनाथपुर में 14.39 हेक्टेयर, राजाबासा में 3.08 हेक्टेयर, रूपुसकुनरी में 3.47 हेक्टेयर और बागडिहा में 17.55 हेक्टेयर जमीन शामिल हैं।
गुमला जिला के टांगरजरिया में 2.29 हेक्टेयर दिया गया है। सिमडेगा जिला के लिटीमारा में 20.67 हेक्टेयर दिया गया है। पलामू के गिर में 23.86 हेक्टेयर अदाणी को दिया गया है। लातेहार जिला के 5 गांवों अदाणी को जमीन दी गयी। इसमें मेधारी में 2 हेक्टेयर, लुरगुमी खुरद में 2.45 हेक्टेयर, बरदौनी कलान में 4.30 हेक्टेयर एंव दुरूप में 3.88 हेक्टेयर दिया गया है।
वन संरक्षक, प्रादेशिक अंचल हजारीबाग एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी हजारीबाग ने अपनी रिर्पोट में लिखा है कि, प्रयोक्ता अभिकरण द्वारा प्रस्ताव में क्षतिपूरक वनरोपण हेतु चयनित गैर वनभूमि के मौजा हुण्डी एवं तेतरडाण्ड जिला लोहरदगा का कुल रकबा 22.77 हेक्टेयर के लिए रैयतों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण इस इटा कर गिरि मौजा जिला पलामू में कुल 23.88 हेक्टेयर का शामिल किया गया है।
अदाणी छति पूर्ति वन रोपण के नाम पर झारखंड के 6 जिलों में पांव रख कर झारखंड में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ के हसदेव से आदिवासी मूलवासी किसानों को पूरा तरह उजाड़ रहा है।