एनजीटी के आदेशों का उल्लघन : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और सीया को ट्रिब्यूनल ने दिया नोटिस
नर्मदा घाटी में अवैध खनन के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, केन्द्रीय बेंच भोपाल में याचिका पर सुनवाई 2015 से जारी है। जिसके तहत दिये गये विविध आदेशों का पालन ना होने पर एनजीटी कानून की धारा 26 के तहत, मेधा पाटकर (नर्मदा बचाओ आंदोलन) व अन्य ने मध्यप्रदेश शासन के विरुद्ध विशेष याचिका दायर की है और आदेशों के उल्लघंन के लिए आरोपित नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मण्डल एवम् सीया (SEIAA) जो कि केन्द्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय की राज्य स्तरीय संस्था है, इन तीनों को एनजीटी द्वारा नोटिस जारी हुआ है। एनजीटी ने उनसे जवाब मांगते हुए 28 नवंबर के दिन अगली सुनवाई रखी है।
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को शासन की ओर से बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका एयर एक्ट, वाटर एक्ट, तथा पर्यावरण सुरक्षा कानून इत्यादि के तहत निभानी है। लेकिन पर्यावरण नियंत्रण मण्डल ने जिलाधीशों को वर्ष 2014 में सिर्फ पत्र के द्वारा बताया कि उनकी मंजूरी लिये बिना खनन हो रहा है, यानि अवैध खनन जारी है। इस शिकायत पर एनजीटी का आदेश था कि राज्य शासन हर अवैध खनन की शिकायत पर्यावरण नियंत्रण मण्डल को दे और प्रदूषण नियंत्रण मंडल उस पर आगे कि कार्यवाही करे। इसका पालन अभी तक राज्य शासन द्वारा नहीं हुआ है।
सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र की जमीनों का भू-अर्जन होने पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के नाम पर अर्जित हुई जमीन खनिज विभाग को लीज पर दे दिया गया जिस मामले में म.प्र. उच्च न्यायालय ने रोक लगाने का आदेश 6/5/2016 को जारी किया। फिर भी डूब क्षेत्र में अवैध खनन कार्य चल रहा है जिसकी रिपोर्ट व जानकारी एनजीटी के द्वारा नियुक्त आयुक्तओं से प्राप्त हुई है। इस पर लम्बी बहस चलने के बाद, ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण डूब क्षेत्र के कन्टूर नापेतोल करने की हषी से नक्शे पेश करे। लेकिन इसका भी पालन नहीं हुआ।
सीया, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की राज्य स्तरीय संस्था, 50 हेक्टर्स तक किसी भी खदान की मंजूरी दे सकती है। अलीराजपुर जिले में दी गई मंजूरीयों पर सवाल उठाया गया जिसके बाद यह बात सामने आई कि सीया की ओर से अर्जदार को दी गयी मंजूरी डूब क्षेत्र की जमीनों पर दी गई है। एनजीटी ने सीया को सभी मंजूरी संबधित कागजात पेश करने कहा और यह भी आज तक नहीं किया गया है।
इस परिप्रेक्ष्य में एनजीटी के आदेशों का पालन ना करने के कारण एनजीटी कानून के धारा 26 के अंतर्गत, यह नयी याचिका (OA 125/2016) दाखिल की गई। इस धारा अनुसार, एनजीटी के आदेशों के उल्लघंन पर, जेल की सजा तथा 10 करोड रू. तक दंण्ड हो सकता है।
अगली सुनवाई 28 नवबर को होगी। आंदोलन की और से मेधा पाटकर और सरकार की ओर से अधिक्ता सचिन वर्मा ने पैरवी की।