संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड : पत्थलगड़ी के बहाने आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला

जमशेदपुर, झारखण्ड 29 जुलाई 2018. झाड़खण्ड मुक्ति वाहिनी, एसयूसीआई, विस्थापन विरोधी एकता मंच, नव जनवादी चेतना मंच, अखिल भारतीय झाड़खण्ड पार्टी एवं सी पी आई एम एल के संयुक्त तत्वाधान में जाहेर थान, करनडीह में “संविधान के आदिवासी विषयक प्रावधान एवम उन पर सरकार की भूमिका” एक दिवसीय विचार सभा का आयोजन दिसुम जाहेर थान, करनडीह में किया गया था. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रुप में सामाजिक कार्यकर्ता सह झाड़खंडी चिंतक अश्वनी कुमार पंकज उपस्थित थे.

अश्वनी कुमार पंकज ने बताया कि मानव सभ्य समाज को तीन भागों में ( पहला मगध दूसरा मुगल और तीसरा ब्रिटिश) बांटते हुए बताया कि पहले दो पीरियड में आदिवासियों के विधि व्यवस्था के साथ कोई मूलभत छेड़छाड़ नहीं किया गया. लेकिन जब ब्रिटिश काल में सबसे ज्यादा छेड़छाड़ हुआ भी तो उसी समय सबसे ज्यादा आदिबसियों के लिए संरक्षण कानून भी बना. और उसी समय आदिबसियों ने सबसे ज्यादा युद्ध लड़ा. इन्होंने बताया कि इतिहासकार आदिबासियों के द्वारा ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ लड़े गए युद्ध को विद्रोह कहते है वह असल मे आदिबसियों का अपने समाज सभ्यता को बचाने का दिकुओ के खिलाफ युद्ध था.

उन्होंने आगे बताया कि आदिबसियों के संरक्षण के लिए जो कानून बनाया गया वह सब निष्क्रिय है. सरकार इसे सक्रिय ढंग से लागू नहीं कर रही है.

पत्थलगाड़ी पर उन्होंने कहाँ कि पत्थलगड़ी के माध्यम से देश में पांचवी अनुसूची एक बहस का विषय बना. हर आंदोलन में कमियां खामिया होता है. इसपर विचार किया जाना चाहिए.

उन्होंने बताया कि पत्थलगड़ी को न तो सरकार और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी और न ही राज्यपाल ने असंवैधानिक कहाँ सबका कहना है इसका व्याख्या गलत किया जा रहा है.

साथ ही सवाल उठाया कि चीफ जस्टिस इसका सही व्याख्या क्योँ नहीं करते?

संभु महतो ने कहाँ कि जब एक वकील कानून का व्याख्या गलत करता है तो जज उसे संसोधन करके फैसला सुनाता है लेकिन जब आदिवासी लोग इसका व्याख्या गलत कर रहे है तो उन्हें देशद्रोह करार दिया जा रहा है. जो गलत है.

कार्यक्रम में संविधान में मौलिक अधिकारों में जनजातियों के कल्याण के लिए मौलिक अधिकारों पर विशेष प्रबंधन, झाड़खण्ड में जमजतीय मंत्रालय लोकसभा और विधान सभा ने जनजातीय आरक्षण, नॉकरियों एम प्रोनोति में आरक्षण, विशिष्ट भाषा एवं लिपि का संरक्षण, राष्ट्रीय जनजातीय आयोग, पेसा, पांचवी अनुसूचीत क्षेत्र में सामान्य नगरपालिका कानून के लागू न होने जैसे बहुत सारी प्रबधनो की जानकारी मंथन ने दिया.

कार्यक्रम में निम्न प्रस्ताव पारित किया गया.

1. रांची के राजधानी के 20 बुद्धिजीवीयों के ऊपर झूठा एफआईआर का विरोध किया गया.

2. भूमि अधिग्रहण कानून संसोधन और भूमि बैंक रद्द करने की मांग किया गया.

3. पाँचवी अनुसूची क्षेत्र के कानूनों के विशेष आयोग बनाकर और भी ज्यादा सक्रिय और शशक्त बनाने की बात रखी गई.

4. टीएसी के अध्यक्ष पर रघुवर दास के होने को असंवैधानिक बताया गया. और

5. स्वामी अग्निवेश के ऊपर हमले का निंदा किया गया.

कार्यक्रम में रांची, जमशेदपुर के अलावे ग्रामीण इलाके के सैकड़ो प्रतिभागियों ने भाग लिया.

सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहाँ कि पत्थलगड़ी द्वारा जारी घोषणाओं में कुछ गड़बड़ी हो सकता है लेकिन यह असंवैधानिक नहीं है.

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सियाशरण शर्मा, मंथन, कुमारचंद मार्डी, सुमित राय, दीपक रंजीत, मदन मोहन, डॉ राम कवीन्द्र, सोहन महतो आदि लोगों ने मुख्य भूमिका निभाया.

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