संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

उड़ीसा : वेदांता से अपने संसाधन बचाने की लड़ाई लड़ रहे कोडिंगमाली के आदिवासी

उड़ीसा की कोडिंगमाली पहाड़ी में वेदांता कंपनी द्वारा किये जा रहे बाक्साइट खनन के खिलाफ आठ पंचायतों के अंतर्गत आने वाले गांवों के आदिवासी ग्रामसभाएं कर रहे हैं। संघर्ष को तेज करने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल भी शुरु कर दी है। ग्रामीणों ने कोकिंगमाली से काकृगम्मा रेलवे स्टेशन जाने वाले बॉक्साइट के परिवहन को रोक दिया है। पढ़िए सुमेधा पाल की रिपोर्ट जिसका हिंदी अनुवाद अमन कुमार ने किया है;

उड़ीसा की कोडिंगमाली पहाड़ी में वेदांता समूह द्वारा किये जा रहे बाक्साइट खनन रोकने को लिये हजारों आदिवासी ग्रामसभाएं कर रहे हैं। इसके लिये उन्होंने अनिश्चित कालीन हड़ताल भी शुरु कर दी है। ग्रामीणों ने लक्ष्मीपुर के पास पास कोंडिंगमाली खदान की तरफ जाने वाले रास्टे को रोक दिया है जिस कारण कोकिंगमाली से काकृगम्मा रेलवे स्टेशन तक बॉक्साइट के परिवहन को रोक दिया गया है।

जिले के तीन ब्लॉकों की आठ पंचायतों के अंतर्गत आने वाले ये गांव कोडिंगमाली पहाड़ी के किनारे पर स्थित हैं और यही क्षेत्र खनन गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित हैं। निवासियों का कहना है कि उन्हें ढांचागत विकास और रोजगार सृजन के नाम पर उनकी जमीन लेने के लिये उनके साथ धोखा किया गया है।

सामजिक कार्यकर्ता और गोल्डमैन पुरस्कार विजेता प्रफुल्ल सामंता द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा किया गया भूमि अधिग्रहण, वन अधिकार अधिनियम (2006) का उल्लंघन करता है और न ही उचित प्रक्रिया का पालन ​​किया गया है।

यह परियोजना फरवरी 2018 में शुरू हुई थी। कोडिंगमाली बॉक्साइट खदान के लिए मंजूरी मिलने के तुरंत बाद, ओडिशा सरकार ने एक नई बॉक्साइट लिंकेज नीति पेश की थी। ओडिशा खनन निगम ने भारतीय खनन कंपनी वेदांत के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो कालाहांडी जिले के लांजीगढ़ में लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित कोडिंगमाली से वेदांता की रिफाइनरी को प्राप्त 70% बॉक्साइट की आपूर्ति सुनिश्चित करती है। वेदांता इससे पहले ब्राजील और गिनी जैसे देशों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से बॉक्साइट का आयात कर रहा था।

2017 में, उड़ीसा खनन निगम को कोडिंगम पहाड़ी क्षेत्र में 435 हेक्टेयर वन भूमि में एक नया बॉक्साइट खदान विकसित करने के लिए वन मंजूरी मिली थी। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि खनन परियोजना क्षेत्र के निवासियों की इच्छा के बिना और ग्राम सभाओं की सहमति के बिना शुरू की गई थी। इसके अलावा, बाक्साइट की ढुलाई के लिये प्रयोग ट्रकों की आवाजाही स्थानीय लोगों के खेतों को नष्ट कर रही है। इससे छोटी नदियों और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ रहा है।

न्यूज क्लिक से बात करते हुए, स्थानीय पत्रकार और कार्यकर्ता रबी शंकर बताते हैं कि, कॉर्पोरेट समर्थक सरकार आंदोलन को खत्म करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। शुरुआत में आदित्य बिड़ला समूह ने इस क्षेत्र को अपने लिये सुरक्षित करने के खूब प्रयास किये। हालांकि, भूमि के अधिग्रहण के बावजूद, एक द्शक तक खनन कार्य शुरू नहीं कर पाई उसके बाद यह क्षेत्र, ओएमसी के कब्जे में आ गई कर। इस दौरान वेदांता समूह नियामगिरी पहाड़ियों के जरिये इस क्षेत्र में अपना राह आसान करने में जुटी थी। इसके लिये समूह ने कोडिंगमाली क्षेत्र में खनन के पट्टे के लिए सरकार से अपील की। ​

रबी शंकर आगे जोड़ते हैं कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है आदिवासियों के जीवन पर खनन से होने वाले प्रभाव पर आँखें बन्द किये हुए है। स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि वे अपनी जमीन पर गार्ड जैसा काम क्यों करें? इसके विरोध में जो लोग आवाज उठा रहे हैं उन्हें “माओवादी” करार दिया जा रहा है, उनका दमन किया जा रहा है। पिछले साल 13 अप्रैल को, कुछ ग्रामीणों ने खनन कंपनी के एक टिप्पर को आग लगा दी, जिसके बाद पुलिस ने कोडिंगमाली पहाड़ी पर बॉक्साइट खनन के खिलाफ ग्रामीणों को उकसाने के लिए पांच लोगों को गिरफ्तार किया।

नियामगिरि आन्दोलन से जुड़े सूर्या का कहना है कि आदिवासी इस महीने की 26 तारीख से परियोजना का विरोध कर रहे हैं। ये पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में खनन की किसी परियोजना का विरोध हो रहा हो। पहली बार जब बिड़ला समूह ने यहां परियोजना लगाने की सोची तब यहां के लोगों ने हिन्डाल्को का विरोध किया था और अब वेदांत का भी कर रहे हैं। कॉरपोरेट दिग्गजों के खिलाफ लड़ाई जारी है। इसके दोषी पार्टी लाईन से इतर हैं, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने वेदांता और उसके प्रयासों का समर्थन किया है।

आन्दोलन को रोकने के लिये बीजू जनता दल (बीजद) द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। कोडिंगमाली में, वेदांता, राज्य सरकार, राजनेताओं और पंचायत प्रतिनिधियों का विरोध करने वाली महिलाएं बीजद के एक स्थानीय नेता से भिड़ गईं, जो विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए उनसे आग्रह कर रहा था। प्रदूषित खदान को बंद करने के लिये कलेक्टर को एक ओडिया डिमांड चार्टर सौंपा गया है।

अपनी आजीविका की रक्षा के लिये उड़ीसा के नियामगिरि में आदिवासियों का वेदांता के खिलाफ संघर्ष काफी पुराना है। जिसमें वे पर्यावरण के हत्यारे वेदांता वापस जाओ जैसे नारों का प्रयोग करते हैं। लम्बे समय से चल रहे इस विरोध को धार 2003 में मिली जब वेदांता की सहायक कंपनी कॉपर स्मेल्ट स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इनकी मांग है कि नियामगिरि में चल रही एल्युमिनियम रिफाइनरी को बंद किया जाए।

साभार : न्यूज क्लिक

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