सर्वोच्च न्यायलय : इंदिरा सागर बांध में बिना पुनर्वास के पानी भरने पर सरकार को नोटिस
न्यायलय के आदेशों का उल्लंघन कर लायी गई थी डूब!
डूब के खिलाफ हुआ था जगह जगह जल सत्याग्रह!!
गुजरी 4 जनवरी को नर्मदा बचाओ आन्दोलन द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बिना पुनर्वास के इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने पर मध्य प्रदेश सरकार से जवाब माँगा है. न्यायालय ने म.प्र. सरकार से एन. एच. डी. सी. द्वारा राज्य सरकार को लिखे उस पत्र पर भी जवाब माँगा है जिसमे एन. एच. डी. सी. ने राज्य सरकार को आगाह किया था कि इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर से ऊपर 262.13 मीटर तक पानी भरने के पहले उच्च न्यायालय से अनुमति लेना जरूरी है. न्यायमूर्ति श्री बी. एस. चौहान एवं न्यायमूर्ति श्री जे. एस. केहर की खंडपीठ ने सरकार को 2 सप्ताह में जवाब देने को कहा है. पेश है यहाँ पर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की यह विज्ञप्ति है;
न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर लायी गई डूब
उल्लेखनीय है कि इंदिरा सागर बांध प्रभावितों के सम्बन्ध में नर्मदा बचाओ आन्दोलन की जनहित याचिका पर दिए फैसले में 8.9.2006 को माननीय उच्च न्यायालय म.प्र. ने इंदिरा सागर बांध का जल स्तर 260 मीटर रखने का आदेश दिया था. पुनः उच्च न्यायालय ने नर्मदा आन्दोलन की अवमानना याचिका पर निर्णय देते हुए 2.9.2009 को स्पष्ट किया था की इंदिरा सागर बांध का जल स्तर 260 मीटर के ऊपर ले जाना उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना होगी. इस आदेश को जब राज्य सरकार और एन. एच. डी. सी. ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश दिनांक 20.11.2009 द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश को पालन करने का आदेश दिया था. माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के इन आदेशों द्वारा बांध में पानी भरने पर रोक के बावजूद इस बरसात में म.प्र. सरकार और एन. एच. डी. सी. ने इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भर दिया. इस पानी भरने के कारण सैकड़ो घर डूब गए, सैकड़ो एकड़ जमीन बिना अधिग्रहण के डूब गयी और अनेक गाँव टापू बन गए. न्यायालय के आदेशों के खिलाफ नर्मदा आन्दोलन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया गया है.
डूब के खिलाफ हुआ जगह जगह जल सत्याग्रह
गत मानसून में अगस्त और सितम्बर 2012 में बिना भू अर्जन और पुनर्वास के लायी गयी इस डूब के खिलाफ हजारों प्रभावितों ने इंदिरा सागर डूब क्षेत्र में हरदा जिले के ग्राम खरदना, खंडवा जिले के ग्राम बद्खालिया व् बडगांव और देवास जिले के मेल पिप्लिया आदि गावों में जल सत्याग्रह किये. ग्राम खरदना में प्रभावित महिला पुरुषों के 16 दिन के जल सत्याग्रह पर सरकार ने बलपूर्वक पुलिस लगाकर जल सत्याग्रहियों को पानी से गिरफ्तार किया था. नर्मदा आन्दोलन ने विस्थापितों की ओर से माननीय राष्ट्रपति महोदय से मिलकर भी इस बिना भू-अर्जन एवं बिना पुनर्वास की डूब के खिलाफ शिकायत की गई थी.
एन. एच. डी. सी. एवं कलेक्टर खंडवा ने उठाई थी आपत्ति
इंदिरा सागर बांध में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित 260 मीटर के ऊपर पानी भरने के बारे में एन. एच. डी. सी. के मुख्य कार्यपालन निदेशक श्री के. एम्. सिंह ने राज्य सरकार को पत्र दिनांक 6.8.12 द्वारा आपत्ति उठाते हुए कहा था कि पानी भरने के पूर्व उच्च न्यायालय की अनुमति लेना जरूरी है. परन्तु इस पत्र पर कोई ध्यान न देते हुए राज्य सरकार ने 24.8.12 को इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने का आदेश दे दिया.
बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने पर कलेक्टर खंडवा द्वारा राज्य सरकार को दिनांक 30.8.2012 के पत्र द्वारा सूचित किया गया कि बिना भूअर्जन एवं पुनर्वास के अनेक घर-खेत डूब में आ रहे है एवं अनेक गाँव टापू बन रहे है अतः बांध में कुछ दिन पानी भरने पर रोक लगा देनी चाहिए. परन्तु नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने डूब से उत्पन्न उस भयावह स्थिति के विषय में कलेक्टर खंडवा की आपत्ति पर ध्यान न देते हुए बांध में पानी भरना जारी रखा जिससे और अनेक गावों में डूब आ गयी. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एन. एच. डी. सी. और कलेक्टर खंडवा के इन दोनों पत्रों पर राज्य सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है.
नर्मदा आन्दोलन सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का स्वागत करता है और आशा करता है कि न्यायालय के सामने अब सरकार द्वारा कानून और संविधान का उल्लंघन कर सैकड़ो परिवारों के घरों व् खेतों के बिना भू-अर्जन और पुनर्वास के पानी भरने के दमनकारी कदम का खुलासा होगा और इंदिरा सागर बांध के हजारों विस्थापितों को उनके पुनर्वास के अधिकार और न्याय प्राप्त होगा.