संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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आदिवासी

मध्य प्रदेश : जंगल बचा रहे अलीराजपुर के आदिवासी

आजादी के पचहत्तर साल में वन अधिकार पर अब जाकर कुछ बातें हो रही हैं और परंपरागत वनवासियों को कहीं-कहीं पट्टे दिए भी दिये जा रहे हैं, लेकिन कुछ आदिवासी इलाके ऐसे हैं जहां जंगल को बचाने का विवेक और तकनीक बरसों से कायम है। मध्य प्रदेश का अलीराजपुर ऐसा ही एक जिला है, जिसे सबसे पिछड़ा माना जाता है, लेकिन यहां के लोग अपने अधिकारों को लेकर सबसे जागरूक…
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झारखण्ड : नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी संघर्ष के ऐतिहासिक सबक

सेना के गोला-बारूद की मारक क्षमता की जांच के लिए झारखंड के नेतरहाट में की जाने वाली चांदमारी करीब छह दशक बाद आखिर अब बंद होने जा रही है। आम तौर पर पिछडे, अशिक्षित माने जाने वाले लोगों की यह ऐतिहासिक जीत, उस इलाके के ग्रामीण-आदिवासियों की लंबी, लगातार चली एकजुटता और संघर्ष ने हासिल की है। प्रस्तुत है, इस संघर्ष की दास्तान पर आधारित कुमार कृष्णन का…
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पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के राज्यपालों को गृह मंत्रालय का दिशा-निर्देश

दिल्ली 26 मई 2022। पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, गुजरात,…

गुजरात : पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!

-विवेक शर्मा वैसे तो इस देश में हमेशा से आदिवासी समाज हाशिये पर रहा है, लेकिन इन दिनों गुजरात में यह समाज भाजपा सरकार की पूंजीवादी नीतियों के कारण बिल्कुल ही गर्त में जाने को मजबूर हो चुका है। आदिवासियों को गुजरात की भाजपानीत सरकार की नीतियों ने इस कदर मजबूर कर दिया है कि वर्तमान में जब समूचा देश गर्मी के प्रकोप, गरीबी, महंगाई जैसी वीभत्स हालातों…
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भाजपा हो या कांग्रेस सबकी पसंद अडानी : छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने परसा कोयला…

छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 अप्रैल 2022 को सूरजपुर और सरगुजा जिलों में पड़ने वाली परसा ओपनकास्ट कोयला खनन परियोजना के लिए…

मध्य प्रदेश सरकार का ग्राम सभाओं को कमजोर करना आदिवासियों के संवैधानिक मूल्यों का…

केन्द्रीय पेसा कानून, न्यायालयों के आदेश और संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों…

मध्य प्रदेश : ‘पेसा’ से उलट ‘पेसा’ के नियम

मध्य प्रदेश सरकार को करीब ढाई दशक पहले संसद में पारित ‘पेसा कानून’ की अब जाकर सुध आई है। पांच महीने पहले ‘पेसा’ के नियम-कानूनों का दस्तावेज तैयार करके उस पर संबंधित विभागों की राय मांगी गई, लेकिन इन नियम-कानूनों पर आम जनता, आदिवासी और व्यापक समाज की राय जानने के लिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। ‘पेसा’ के नियम-कानूनों के सरकारी दस्तावेज में आखिर…
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