संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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कोयला खदान

दिल्‍ली में उठी छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य की ग्राम सभाओं की आवाज़

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के 1.70 लाख हेक्टेयर के घने जंगल में कोयला खनन के खिलाफ पिछले दस सालों से स्थानीय आदिवासी और ग्राम सभाएँ संघर्ष कर रही हैं। इस इलाके को कभी ‘नो गो एरिया’ घोषित किया गया था। इसी महीने आदिवासियों ने तीन सौ किलोमीटर की पद यात्रा कर के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की थी लेकिन सप्ताह भर बाद ही परसा इलाके में ग़ैरक़ानूनी…
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कमर्शियल कोल माइनिंग और एमडीओ कॉर्पोरेट लूट का नया रास्ता : कोयला खदानों के आवंटन…

सरकारी कंपनियों की मिलीभगत से कोयला खदानों का पूरा विकास एवं संचालन पिछले दरवाज़े से मोदी सरकार के करीबी कॉरपोरेट…

झारखण्ड : 12 साल से मुआवजे को तरस रहे ललमटिया के आदिवासी

-मणि भाई झारखण्ड के गोडा जिले के ललमटिया स्थित राजमहल कोयला खदान परियोजना के नाम पर जमीन देने वाले आदिवासी आज…

कोयला निगल सकता है भारत के जल स्रोतः ग्रीनपीस इंडिया

417 कोयला ब्लॉक अक्षत क्षेत्र में नई दिल्ली। 5 अप्रैल 2016। एक तरफ भारत में लगातार सूखे की खबर सूर्खियों में है तो दूसरी तरफ ग्रीनपीस को मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार उन नीतियों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जिन्हें देश के प्राचीन जंगलों, वन्यजीव और जल स्रोतों को बचाने के लिये बनाया गया है। हाइड्रोलॉजिकल मापदंडों के आधार पर…
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