देवभूमि में दहक रही है बग़ावत की ज़मीन
जिंदल के प्रेम में अंधे हो चुके हरीश रावत को कुछ नहीं दिख रहा
ढलते नवंबर की एक ढलती हुई शाम उस गांव में शादी थी, लेकिनउसका पंडाल हाइवे से थोड़ी ऊंचाई पर वीरान पड़ा था। सड़क किनारे अचानक झुटपुटे में सुलग आई मशालों ने उसकी चमक फीकी कर दी थी। क्या बाराती और क्याच दूल्हाट, सब के सब गांव वालों के साथ सड़क किनारे एक दूसरे पंडाल में इकट्ठा थे।…
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