विकास के बोझ से डूबती नर्मदा नदी
मानसून की आहट आते ही नर्मदा घाटी के निवासियों के चेहरे पर डर झलकने लगता है। बिना पुनर्वास के उन्हें विस्थापित होने को मजबूर किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि निमाड़ के डूब प्रभावित शत प्रतिशत गांवों का पुनर्वास हो चुका है। जबकि जमीनी हकीकत इसके एकदम विपरीत है। देवेन्द्र सिंह तोमर का महत्वपूर्ण आलेख जिसे हम सप्रेस से साभार…
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