मंत्री जी, देश की वनभूमि पर कारपोरेट का जंगलराज कायम हो गया है !
देश आज उस मुहाने पर खड़ा है जहां या तो जंगल बचाने वाले आदिवासी बचेंगे, या जंगलराज लाने वाले कारपोरेट. देश का क़ानून और संविधान कारपोरेट हितों का अभयारण्य बन गया है. वनभूमि-हस्तांतरण को रोकने के लिए 2006 में क़ानून तो बना, लेकिन जब इसे लागू करने के लिए ज़रूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति कंपनियों के आगे घुटने टेक देती हो तो हिमाचल हो या ओडीसा, छत्तीसगढ़ हो…
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