वो जो गया, आम लोगों का बेजोड़ दोस्त था.…
कुमार सुंदरम
प्रफुल्ल जी के लिए ऐसे अचानक श्रद्धांजलि लिखनी पड़ेगी, कभी सोचा न था. मैं 1990 के शुरुआती वर्षों में अर्थनीति और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर उनके लेख पढ़ते हुए बड़ा हुआ. तब के अखबारी लेखक पीछे छूटते गए लेकिन बाद में जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी करते हुए भी प्रफुल्ल जी का लिखा उतना ही काम आया. ऐसे थे प्रफुल्ल जी - एक…
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