बांध तो नहीं रुका, लेकिन क्या आंदोलन भी असफल रहा?
करीब चार दशकों के लंबे अनुभव में ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ को अपनी सफलता-असफलता के सवालों का सामना करते रहना पड़ा है। एक तरफ घाटी में प्रस्तावित बांध बनते रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ आंदोलन, अपनी स्थानीय, सीमित ताकत और प्रभाव से लेकर प्रदेश, देश की सीमाओं को लांघकर अंतरराष्ट्रीय हुआ है। क्या कहेंगे, इसे? प्रस्तुत है, इस विषय पर प्रकाश डालता आशीष कोठारी का…
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