झारखण्ड : 23 बैठकों के बाद भी नहीं सुलझ सके डिमना बांध विस्थापितों के मुद्दे
सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए लिए गए डिमना डैम की ज़मीन को टाटा कंपनी अपनी निजी जमीन की तरह मानती है। शहर को पीने का पानी देने वाले स्रोत क्या टाटा कंपनी के हो सकते है? फिर आखिर क्यों टाटा कंपनी को लीज पर मिली ज़मीन को कंपनी अधिकारी अपना मान बैठे हैं? विस्थापितों को मूल सुविधाओं से वंचित क्यों किया जा रहा है? इन सवालों को लेकर डिमना डैम के विस्थापितों…
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