मध्य प्रदेश : अवैध बेदखली और लूट के विरोध में आदिवासियों का प्रदर्शन
3000 से ज्यादा आदिवासियों ने धरना कर किया खंडवा प्रशासन द्वारा अवैध बेदखली और लूट का विरोध; कानून का उल्लंघन कर रहे अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग कर कहा कि- “सरकार को कानून नहीं मालूम तो हम से सीखें”
खंडवा के ग्राम नेगांव, (जामनीया) में हुई 40 आदिवासी परिवारों की अवैध बेदखली, और उनके घरों के समान की लूट के खिलाफ जागृत आदिवासी दलित संगठन से जुड़े 3000 से भी ज्यादा गुस्साए आदिवासियों द्वारा विरोध प्रदर्शन कर अवैध कार्यवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्यवाही कर गिरफ्तारी की मांग की गई। विरोध रैली खंडवा वन विकास निगम कार्यालय के सामने होते हुए कलेक्टर कार्यालय तक निकाली गई, जहां प्रशासन द्वारा कानून एवं नियमों के उल्लंघन का भी तीखा विरोध किया गया एवं अधिकारियों से उनकी कार्यवाही की वैधता पर भी जवाब भी मांगा गया । आदिवासियों द्वारा प्रशासन द्वारा 40 आदिवासी परिवारों की “सरकारी” कार्यवाही में आयोजित लूट का विरोध करते हुए बेघर हुए परिवारों के लिए तुरंत राहत हेतु अनाज एवं लूट में हुए नुकसान हेतु मुआवजे की मांग की गई ।
ग्राम जामनिया की इस घटना में वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन, म.प्र. हाई कोर्ट के आदेश का अवमानना और म.प्र. शासन के आदेश का खुलाम उल्लंघन हुआ है । वन अधिकार अधिनियम की धारा 4 (5) के अनुसार इस तरह जांच प्रक्रिया पूर्ण होने तक किसी को भी बेदखल नहीं किया जा सकता है । इसके अलावा, स्वयं मध्य प्रदेश शासन के आदिम जाति कल्याण विभाग के आदेश दि 01.05.19 के अनुसार, वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दावों के पुनः जांच पूरी न हो जाने तक किसी भी दावेदार की बेदखली प्रतिबंधित है । नेगाँव – जामनिया में बेदखल किए गए 40 परिवारों का जांच प्रक्रिया कानूनानुसार शुरू ही नहीं हुई है ! वन अधिकार की प्रक्रिया कभी भी विधिवत रूप से नहीं चलाई गई, जिस कारण बड़ी मात्रा में लोग त्रुटिपूर्वक अपात्र किए गए – यह स्वयं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सूप्रीम कोर्ट में कबूला गया है । इसी कारण प्रदेश में दावों की पुनः जांच आदेशित की गई थी । परंतु अभी भी ज़िला खंडवा में लगभग 2,416 (86%) और बुरहानपुर में 10,800 (99.5%) दावों का जांच प्रक्रिया लांबित है ! इस “कार्यवाही” के दौरान 6 व्यक्तियों को जबरन उठा कर वन मंडलाधिकारी (निगम) श्री चरण सिंह के ऑफिस मे बंधक बना कर रखे जाने और उनके फोन छीने का भी तीखा विरोध हुआ ।
म. प्र. हाई कोर्ट द्वारा (W.P. no 8820/2021) 23.04.21 को पारित आदेश में कोविड़ काल के कारण किसी भी विभाग द्वारा बेदखली पर प्रतिबंध लगाया गया है । यह आदेश पहले दिनांक 15.07.21 तक और अब 23.08.21 तक लगाया गया है । इस आदेश के उल्लंघन का भी विरोध हुआ ।
खंडवा जिले मे हो रही अवैध कटाई करने वालो को वन विभाग द्वारा संरक्षण दिए जाने का भी विरोध किया गया । आदिवासियों के अनुसार, निमाड में अवैध लकड़ी की तस्करी में लिप्त एवं पैसों के बदले अवैध कटाई को मौन समर्थन देने वाला वन विभाग आदिवासियों के ऊपर जंगल नष्ट करने के झूठे आरोपों की आड़ में अपना भ्रष्टाचार छुपना चाह रहा है। हिरापुर – वाकड़ी क्षेत्र मे हो रहे कटाई का लगातार 1 साल से ग्रामीणों द्वारा शिकायत किया जा रहा है, पर वन विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रही है । मध्य प्रदेश सरकार द्वारा छतरपुर जिले में हीरे के खदान के लिए 2.15 लाख से भी ज्यादा पेड़ो को नष्ट करने की सरकार के योजनाओं का भी तीखा विरोध किया गया । उल्लेखनीय है कि पर्यावरण संबन्धित संसदीय समिति के अनुसार, देशभर में पिछले पाँच साल में 1.75 लाख एकड़ जंगल उद्योगों को हस्तांतरित किए जा चुके है ।
कार्यक्रम में आदिवासी छात्र संगठन की ओर से प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश बंडोद एवं प्रदेश महासचिव पीयूष मोझले ने भी आदिवासियों के साथ खड़े होकर अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की, तथा कोई कार्यवाही न होने पर पूरे आदिवासी समाज द्वारा प्रदेश भर में आंदोलन की चेतावनी भी दी गई।
जागृत आदिवासी दलित संगठन द्वारा जारी प्रेस नोट