परमाणु-विरोधी यात्रा : मदुरई-कूडनकुलम-चेन्नई, 10 से 14 नवम्बर, 2011
कूडनकुलम में चल रहे परमाणु-विरोधी आन्दोलन के समर्थन में देश-भर से आन्दोलनकर्मियों, परमाणु- विरोधी वैज्ञानिकों और सजग नागरिकों ने तमिलनाडु में ‘परमाणु-विरोधी यात्रा’ आयोजित की। इस यात्रा में भारत बचाओ आन्दोलन के नेता प्रो. बनवारी लाल शर्मा, वैज्ञानिक सुव्रत राजू और सौम्य दŸाा, जैतापुर आन्दोलन की प्रमुख नेता वैशाली पाटिल, बम्बई उच्च न्यायालय के पूर्व-न्यायाधीश श्री बी.जी. कोलसे- पाटिल, पुणे-स्थित संस्था लोकायत के प्रमुख श्री नीरज जैन, पीयूसीएल बंगलोर से आरती चोकशी, पर्यावरणविद नित्यानंद जयरामन और सीएनडीपी से कुमार सुन्दरम समेत दर्जनों संगठनों और आन्दोलनों के लोग शामिल हुए।
इस यात्रा ने कूडनकुलम के निकटवर्ती शहरों और गाँवों में परमाणु-विरोधी मुहिम के महŸव और इसके दूरगामी चरित्र को रेखांकित किया। कूडनकुलम में चल रहा आन्दोलन देश में ऊर्जा के उत्पादन तथा उपभोग के एक वैकल्पिक ढाँचे के लिए चल रही लड़ाई का हिस्सा है, इस बात को इस यात्रा के माध्यम से प्रसारित किया गया। परमाणु ऊर्जा किस तरह असुरक्षित और महंगी है, इस तथ्य को यात्रा में चल रहे वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने यात्रा के पड़ाव-स्थलों पर स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा बुलाई गई आम बैठकों में जोरदार तरीके से रखा। इस यात्रा ने तमिलनाडु राज्य में लोगों की चेतना को झकझोरने का काम किया और राज्य की मीडिया को भी इस यात्रा को हर जगह मिल रहे समर्थन और उत्सुकता के कारण जगह देनी पड़ी। उसी हफ्ते पूर्व-राष्ट्रपति श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने चेन्नई में प्रेस-वार्Ÿाा बुलाकर तथा ‘द हिन्दू’ अखबार में एक लंबा लेख लिखकर कूडनकुलम अणु-बिजली परियोजना को सुरक्षित और ज़रूरी बताया था और खासकर शहरी मध्यवर्ग को सरकार के साथ खड़ा करने की कोशिश हुई थी। मदुरै, तिरुनेलवेली, चेट्टीकुलम, नागरकोइल, इदिंथकराइ और चेन्नई में बुलाई गई विभिन्न मीटिंगों में स्थानीय नागरिक अच्छी संख्या में आए और उन्होंने यात्रा में शामिल वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं से परमाणु ऊर्जा और आन्दोलन को लेकर अपनी शंकाओं का निवारण भी किया। लगभग पूरे हफ्ते तमिलनाडु के अखबार और न्यूज़ चैनलों ने इस यात्रा को कवर किया और चेन्नई में 13 नवम्बर की शाम को यात्रा में शामिल नीरज जैन और कुमार सुन्दरम एनडीटीवी के स्टूडियो में परिचर्चा में भी बुलाए गए। इस यात्रा ने निश्चित तौर पर तमिलनाडु में आन्दोलन के पक्ष में माहौल तैयार करने में मदद की।
आन्दोलन में शामिल लोग भी कूडनकुलम के संघर्षशील साथियों के जीवट और संकल्प के साक्षी बने। कूडनकुलम संयंत्र के खिलाफ कई महीनों से आन्दोलनरत आम-जनता ने न सिर्फ अपूर्व साहस, धैर्य और राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया है बल्कि ऊर्जा और विकास के मानदंडों परिभाषाओं को जनकेंद्रित बनाने की ज़रुरत और उसे आत्मसात करने का आग्रह किया है। आंदोलनकारी सरकारी मशीनरी के दमन, उसके दुष्प्रचार और प्रलोभनों से परे जाकर इस लोकतांत्रिक आकांक्षा की आवाज़ बने हैं। देशभर के संघर्षशील साथियों ने यह अनुभव किया है कि विभिन्न जन संघर्षों को कूडनकुलम आन्दोलन से काफी कुछ सीखने और इससे सबक लेकर अपनी पहलकदमियों को जीवन्तता देने की ज़रुरत है। विनाशकारी परमाणु संयंत्रों, पार्कों के खिलाफ पूरे देश में चल रे संघर्षों के बीच में आपसी तालमेल और साझेपन को बढ़ाने में इस यात्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
-पी.के. सुंदरम्