महाराष्ट्र : कोयला पावर प्लांट्स निगल रहा 1.2 करोड़ लोगों के हिस्से का पानी: ग्रीनपीस
मुंबई। 28 अप्रैल 2016। एक तरफ महाराष्ट्र लगातार सूखे से जूझ रहा है, दूसरी तरफ ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट ‘द ग्रेट वाटर ग्रैब-हाउ द कोल इंडस्ट्री इज डिपनिंग द ग्लोबल वाटर क्राइसिस’ में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि अकेले महाराष्ट्र में कोयला पावर प्लांट्स इतनी अधिक मात्रा में पानी का खपत करता है जो हर साल लगभग सवा करोड़ लोगों के लिये पर्याप्त है।
वर्तमान में, महाराष्ट्र के पास 16,500 मेगावाट क्षमता के कोयला से पैदा होने वाली बिजली है। इनमें से लगभग 13000 मेगावाट महाराष्ट्र के उन इलाकों में स्थित हैं जहां पहले से ही पानी का संकट है। ये प्लांट अभी 218 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी खपत कर रहे हैं। दूसरी तरफ पानी संकट को बढ़ाने वाली 37,370 मेगावाट वाले कोयला पावर प्लांट को लगाये जाने की योजना प्रस्तावित है। इस योजना से कोयला प्लांट द्वारा पानी की मौजूदा खपत दोगुना हो जाएगा तथा जल संकट और अधिक गहरा जाएगा।
ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर जय कृष्णा ने कहा, “ पानी की कमी एक अनिवार्य सच है। इससे हमारे कृषि पर गंभीर संकट पैदा हो गया है। इससे देश भर के लोगों का आजीविका और जीवन दोनों खतरे में पड़ गया है। एक तरफ पानी को बचाए जाने का उपाय करना जरुरी तो है ही, उससे भी बड़ा सवाल यह है कि मौजूदा पानी का किस तरह इस्तेमाल हो”।
फिलहाल भारी मात्रा में पानी थर्मल पावर प्लांट्स को दिया जा रहा है। जैसा कि ग्रीनपीस की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रस्तावित कोयला पावर की बड़ी परियोजनाओं की वजह से आने वाले समय में कोयला उद्योग और भी बड़ी मात्रा में पानी सोखेगा। अगर हम प्रस्तावित प्लांट्स और वर्तमान में निर्माणाधीन प्लांट्स को देखें तो स्पष्ट है कि महाराष्ट्र का करीब 490 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी इन प्लांटों में चला जायेगा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, इतना पानी राज्य के करीब 2.6 करोड़ लोगों की जरुरतों को पूरा करने में सक्षम है।”
जय कृष्णा ने कहा कि सरकार को कोयले की वास्तविक लागत की गणना के वक्त पानी के अभाव को भी जोड़ने की जरुरत है। स्पष्ट है कि लगातार कोयला पावर प्लांट पर बढ़ रही निर्भरता राज्य के किसानों और निवासियों के लिये विनाशकारी साबित होगा। जिस तरह से जल संकट गहराता जा रहा है, उससे कोयला पावर प्लांट्स के अक्सर बंद होने की भी आशंका भी है। इस तरह ये प्लांट्स ‘फंसा हुआ निवेश’ साबित होंगे और यह निवेशकों के लिये भी जोखिम भरा है।
इस साल गर्मी में, पहले से केपीसीएच का रायचुर पावर प्लांट और एनटीपीसी फरक्का पावर प्लांट को पानी के अभाव में तात्कालीक रूप से बंद कर दिया गया है। महागेंसो परली पावर प्लांट जूलाई 2015 से ही पानी के अभाव में बंद है।