दिल्ली-मुम्बई कॉरीडॉर : संघर्ष यात्रा में खुली ‘शाईनिंग गुजरात‘ की पोल
असली मुद्दे हैंः-
गुजरात में चमकीले निवेश के बावजूद बेराजगारी की समस्या पहले की तरह ही बरकारार है। वास्तव में गुजरात मात्र रोजगार हीन वृद्धि के रास्ते पर है।
यह पूरी तरह काला झूठ है कि लोग इच्छापूर्वक अपनी जमीन-जंगल-पानी जैसी संपदा को छोड़ रहे है। जबरी अधिग्रहण और अन्यायी परियोजनाओं का हर जगह विरोध हो रहा है।
ढांचागत परियोजनाओं चाहे वो रेल्वे लाइने हो, दु्रतगतिमार्ग हो, बंदरगाह हो, अणुउर्जा के प्लांट हो सब जगह विरोध है। लोगो ने सरकारी दावों की पोल देख ली है। और वो अब संघर्ष के रास्ते पर है।
कामगार लोग-आदिवासी, मछुआरों, किसानों, असंगठित कामगार आदि को इस तथाकथित विकास की बड़ी किमत चुकानी पड़ रही है और उन्हे शहरी स्लम के नरक में फेका जा रहा है।
‘गुजरात विकास का माडॅल है‘ यह झूठ अब उधड़ना शुरु हो गया है।
डीएमआईसी के खिलाफ चल रही मुंबई-दिल्ली संघर्ष यात्रा को यही संदेश गुजरात के परियोजना प्रभावितों से मिला है। अब 14 मार्च को यात्रा खेडा और अहमदाबाद की ओर गुजरात में अपने अंतिम पड़ाव पर जायेगी। जिसके बाद मुंबई-दिल्ली संघर्ष यात्रा मध्यप्रदेश में इंदौर में प्रवेश करेगी